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श्रीमद् विजयराजेन्द्रसूरि-स्मारक-ग्रंथ कारण संघ को चिन्ता । गुरुदेव से श्रीसंघ का भावी के लिये प्रश्न । गुरुदेव का प्रत्युत्तर । पौष शु० ३ को दुपहर के समय श्रीदीपविजयजी और श्रीयतीन्द्रविजयजी को 'श्रीअभिधान राजेन्द्र कोष' को मुद्रण और सम्पादन का आदेश और श्री संघ को मुद्रणार्थ अर्थ सहायताके लिये संकेत । तृतीया की संध्या को अनशन-ग्रहण और पौष शु० ६ की संध्या को अन्ते. वासियों को अन्तिम उपदेशः
" अर्हन् नमः अर्हन् नमः"
का शुभ स्मरण करते-करते समाधियोग में लीन होजाना ( स्वर्गवास )। श्रीसंघने पार्थिव शरीर का पवित्र तीर्थभूमि मोहनखेड़ा में पौष शु० ७ को विशाल जनमेदिनी के मध्य अन्त्येष्टि संस्कार किया । इत्यलम् विस्तरेण ।