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________________ श्री अभिधान राजेन्द्र कोश और उसके कर्ता । 'अज्जा' इस शब्द पर आर्या( साध्वी) को गृहस्थ के सामने पुष्ट भाषण करने का निषेध, विचित्र अनेक रंग के कपड़े पहिनने का निषेध, गृहस्थ के कपड़े पहिनने का निषेध आदि साध्वियों के योग्य जो भी कार्य नहीं हैं उनका तथा जिन कार्यों को उन्हें करना चाहिये उन सब का विवेचन इस शब्द में किया गया है । 'अणेगंतवाय' इस शब्द पर स्याद्वाद का स्वरूप, अनेकांतवादियों के मत का प्रदर्शन, एकांतवादियों के दोष, हरएक वस्तु को अनंत धर्मात्मिक होने में प्रमाण, वस्तु की एकांत सत्ता माननेवाले मतों का खण्डन आदि स्याद्वाद संबंधी विषय पर गहरा प्रकाश डाला है। 'अद्दगकुमार ' इस शब्द पर आर्द्रकुमार की कथा, रागद्वेष रहित के भाषण करने में दोषाभाव, समवसरणादि के उपभोग करने पर भी अर्हत् भगवान के कर्मबंधन होने का पतिपादन, बिना हिंसा किये हुए भी मांस खाने का निषेध आदि विषय प्रदर्शित किये हैं। ___ 'अमावसा' इस शब्द पर एक वर्ष में बारह अमावस्याओं का निरूपण, उनके नक्षत्रों का योग तथा कितने मुहूर्तों के जाने पर अमावस्या के बाद पूर्णमासी और पूर्णमासी के बाद अमावस्या आती है इत्यादि विषय हैं। 'अहिंसा ' इस शब्द पर अहिंसा की व्याख्या, अहिंसा का विवेचन, अहिंसा का लक्षण, अहिंसा पालन करने में उद्यत पुरुषों का कर्तव्यादि में हिंसा करने पर विचार, जैनियों की उच्च अहिंसा का प्रतिपादन, एकांत नित्य और एकांत अनित्य आत्मा के माननेवाले के मत में अहिंसा का व्यर्थ हो जाना, आत्मा के परिणामी होने पर भी हिंसा में अविरोध का प्रतिपादन आदि विषयों पर अच्छा विवेचन किया है। प्रथम भाग में जिन जिन शब्दों पर जो जो कथायें उपकथायें आई हैं उनका भी अच्छा दिग्दर्शन कराया है। अभिधान राजेन्द्र कोष का दूसरा भाग। इस दूसरे भाग का प्रारंभ ' आ ' इस अक्षर से किया गया है और · ऊहा' इस शब्द पर इस कोष के दूसरे भाग को समाप्त किया है । इस भाग में ११८७ पृष्ठ हैं। इस भाग में आ, इ, ई, उ, ऊ इन पांच अक्षरों से प्रारंभ होनेवाले शब्दों पर खूब विवेचनपूर्वक विचार किया गया है जिसमें केवल 'आ' अक्षर से आरंभ होनेवाले शब्दों पर ५२८ पृष्ठों में वर्णन किया है। दूसरे भाग में यों तो कई शब्दों पर विवेचन किया है फिर भी दो-चार शब्दों के विषयों की जानकारी नीचे दी जा रही है। आउ'-आयु के भेद, आयु का निरूपण, आयु की पुष्टि के कारण और उनके उदाहरणादि दिये हैं। आउकाय शब्द पर अकायिक जीवोंका वर्णनभेद आदि।
SR No.012068
Book TitleRajendrasuri Smarak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1957
Total Pages986
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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