________________
एक निरभिमानी व्यक्तित्य : श्री भूपेन्द्रनाथ जी जैन
डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय*
किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व का मूल्यांकन अपने आप में एक दुरूह कार्य होता है क्योंकि व्यक्ति का व्यक्तित्व उसके चरित्रपटल पर उभरने वाली आड़ी-तिरछी बहुरंगी रेखाओं का वितान होता है । ऐसा ही इन्द्रधनुषी व्यक्तित्व है श्रद्धेय श्री भूपेन्द्रनाथ जी जैन का, जिनके व्यक्तित्व के सात रंग हैं- सरलता, मृदुता, दूरदर्शिता, विवेकशीलता, निरभिमानता, कार्यकुशलता एवं दृढ़ संकल्प।
आपसे मिलने से पूर्व मैं सोचा करता था कि उस व्यक्ति का व्यक्तित्व कैसा होगा जो इतने बड़े शोध-संस्थान का गुरुतर भार अपने अकेले कन्धों पर वहन कर रहा है। हमारी परिकल्पनाओं को मूर्त रूप तब मिला जब सन् १९९० में आपसे मेरा प्रथम साक्षात्कार हुआ, और तब मैने जाना कि आप सौम्यता एवं सादगी की प्रतिमूर्ति हैं । धन, वैभव का लेशमात्र भी अभिमान आपने में नहीं है । पार्श्वनाथ विद्यापीठ से जुड़ने के बाद, संस्थान के सचिव के रूप में आपका सानिध्य मेरे लिए गर्व की बात है। विवेकशीलता, निर्णय लेने की अप्रतिम क्षमता, सत्य की पक्षधरता एवं कर्मठता आपके व्यक्तित्व के कुछ ऐसे बिन्दु हैं जो किसी को भी अनायास ही अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं।
पार्श्वनाथ विद्यापीठ आज प्रगति के जिन सोपानों पर चढ़ सका है उसमें आपकी सूझ-बूझ एवं कुशल प्रबन्धन का बहुत बडा हाथ है। पार्श्वनाथ विद्याश्रम से पार्श्वनाथ विद्यापीठ तक की साठ वर्षों की विकास यात्रा-मार्ग पर आपके मार्गदश स्पष्टतः देखे जा सकते हैं । संस्थान उत्तरोत्तर विकास करता रहे, यही आपके लिए सबसे बड़ा प्राप्तव्य है। अपने पूर्वजों की धरोहर को अपनी लगन व मेहनत से आपने जो सम्मान और इज्जत बख्शी है, वह निश्चित ही अनुकरणीय है । आपके एक-एक शब्द मेरे लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
___ आपके अभिनन्दन के इस पुनीत अवसर पर आपका अभिनन्दन करते हुए ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूँ कि आप शतायु हों, दीर्घायु हों।
*प्रवक्ता, जैन विद्या विभाग, पार्श्वनाथ विद्यापीठ ।
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org