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जैन विद्या के आयाम खण्ड-७
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१६. 'अप्पेगे हिंसिंस मे त्ति वा, अप्पेगे हिसंति वा, अप्पेगे हिंसिस्संति आचारांगसूत्र, संपा०- मधुकर मुनि, प्रका०- श्री आगम वाणे वधेति।
प्रकाशन समिति, ब्यावर, १९८४, ५/३/१५९ । आचारांगसूत्र, संपा०- मधुकर मुनि, प्रका०- श्री आगम तथा देखिए-अप्पाणमेव जुज्झाहि किं ते जुज्झेण बज्झओ? प्रकाशन समिति, ब्यावर, १९८४, १/६/५२;
उत्तराध्ययनसूत्र, संपा०- मधुकरमुनि, प्रका० श्री आगम प्रकाशन १७. इमस्म चेव जीवियस्स परिवंदण-माणण-पूयणाए, जाई-मरण- समिति, ब्यावर, ९/३५ मोयणाए दुक्ख पडिघातहेतुं'--वही १/७
२४. उत्तराध्ययनसूत्र संपा० मधुकर मुनि, प्रका०- श्री आगम १८. थीभि लोए पव्वहिते।
प्रकासन समिति, ब्यावर, १/१५; ते भो! वदंति एयाई आयतणाइं-वही २/४/८४
कौटिलीय अर्थशास्त्र, संपा०- उदयवीर शास्त्री प्रका०- मेहरचन्द १९. पद्मपुराण, संपा०- पं०- पन्नालाल जैन, प्रका०- भारतीय लक्ष्मणदास, दरियागंजए दिल्ली, १९७० २१/६/७ ज्ञानपीठ, काशी, सर्ग ३३
२६. वही ४६/६/७ २०. हरिवंशपुराण, संपा- पं० दरबारी लाल न्यायतीर्थ- २७ निरयावलिकासूत्र संपा०- मधुकर मुनि, प्रका०- श्री आगम
प्रका०- माणिकचन्द दिगम्बर जैन ग्रन्थमाल समिति- प्रकाशन समिति, ब्यावर, १९८५, ४४/१६६ मुम्बई, सर्ग ३६
८. जम्बूद्वीप्रज्ञप्तिसूत्र, संपा०- मधुकरमुनि, प्रका०- श्री आगम २१. पाण्डवपुराण, संपा०- जिनदास जैन कडकुलेशास्त्री, सोलापुर, प्रकाशन समिति, ब्यावर, १९८६, १८/१५२ १९८०, सर्ग १९
२९. ज्ञाताधर्मकथासूत्र संपा० मधुकर मुनि, प्रका०- श्री आगम २२: ज्ञाताधर्मकथा, संपा० - मधुकर मुनि, प्रका०- श्री आगम प्रकासन समिति, ब्यावर, १६/१९० प्रकाशन समिति, ब्यावर १५,पृ० ३६२
३०. व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र संपा० मधुकर मुनि, प्रका०- श्री आगम २३. इमेण चेव जुझहि किं ते जुझेण वज्झतो'।
प्रकासन समिति, ब्यावर, १८२ ७/९/८
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