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मैं समझता हूँ कि वैशाली में प्राकृत अनुसंधानशाला की स्थापना बहुत ही सामयिक है। मैं आशा करता हूँ कि यहाँ जो अध्ययन होगा और जो खोज की जायगी, उनके परिणाम स्वरूप जहाँ भारतीय इतिहास की टूटी हुई शृंखलाओं के जुड़ने की आशा है, वहाँ हम एक अत्यन्त प्रतापी और यशस्वी विभूति की जीवन-कथा तथा विचारधारा का पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर अपने आपको कृतकृत्य कर सकेंगे। मुझे विश्वास है कि यह प्राकृत अनुसंधानशाला, जिसका शिलान्यास का दायित्व आपने मुझे सौंपने की कृपा की है, शीघ्र ही बन कर तैयार हो जायगी। मुझे सन्देह नहीं कि कालान्तर में इस शाला के कारण वैशाली फिर विद्या और संस्कृति का केन्द्र बन जायगा। बिहार सरकार और दूसरे जिन लोगों ने इस अनुसंधानशाला की स्थापना में आर्थिक तथा अन्य प्रकार की सहायता की है, हमारे धन्यवाद के अधिकारी हैं। आगे भी इस पुण्य कार्य में सभी का पूर्ण सहयोग रहेगा, ऐसी मेरी आशा है।
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
(प्रथम राष्ट्रपति)
ISBN: 978-81-904865-7-6
| ISBN : 978-81-9048
रु. 600.00
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