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श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ
4 परोपकारी व्यक्तित्व
-लक्ष्मीचंद सुराणा, जोधपुर
किसी कवि ने कहा है
सरवर तरवर संतजन चौथा वरसे मेह |
पर उपकार के कारणे चारों धारा देह || श्रद्धेय राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमदविजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. के जीवन पर जब हम दृष्टिपात करते हैं तो हम पाते हैं कि आपका जीवन परोपकारी रहा है किसी भी दुःखी व्यक्ति को देखकर आपका कोमल हृदय द्रवित हो जाता है । आप तब तक आराम से नहीं बैठते जब तक कि दुःखी व्यक्ति को कुछ सहायता प्रदान नहीं करवा देते । उसके दुःख को दूर करने का उपाय नहीं कर देते । ऐसे परोपकारी आज बहुत ही कम देखने को मिलते हैं पू. आचार्य भगवन में परोपकार का गुण प्रारम्भ से ही भरा हुआ था जो अपने गुरुदेव का सान्निध य पाकर और विकसित होगया ।
पूज्य आचार्यदेव के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के शुभप्रसंग पर उनके भक्तों ने एक अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित कर उनके करकमलों में समर्पित करने का निर्णय लेकर एक आदर्श उपस्थित किया है। मैं इस आयोजन की हृदय से अनुमोदना करता हूं ।
पूज्य आचार्यदेव स्वस्थ रहे और दीर्घकाल तक संघ और समाज को मार्गदर्शन प्रदान करते रहे यही हार्दिक कामना है । आचार्य श्री के चरणों में कोटि कोटि वंदन ।
4 ज्योतिर्मय जीवन
-अमृत बोहरा, बड़नगर महापुरुषों के जीवन से अनेक भव्य प्राणी प्रेरणा ग्रहण कर अपना जीवन सफल बनाते हैं । परम पूज्य राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य भगवन श्रीमदविजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. के गुणों की सौरभ से म.प्र., मारवाड़ आदि प्रांत सुरभित है । यह सौरभ दूरस्थ दक्षिण भारत तक पहुंच चुकी है ।
सत्यनिष्ठा, सरलता, सहजता, निर्भीकता विनम्रता, शांति, दया और क्षमा जैसे गुणों से आपका व्यक्तित्व शोभायमान है । साधना की ज्योति से आचार्यश्री का जीवन ज्योतिर्मय है । संयम की साधना, मानवता की साधना, और ज्ञान की आराधना से आपका जीवन ओतप्रोत है । साधना पथ के पथिक बनकर आप उस पथ को प्रशस्त और उज्ज्वल बना रहे हैं। आप अपना प्रत्येक कार्य धैर्य के साथ करते हैं और प्रत्येक आगन्तुक दर्शनार्थी को भी ऐसे ही उपदेश देते हैं । आपके जीवन में प्रेम का झरना निरंतर प्रवाहित रहता है।
ऐसे श्रद्धेय आचार्य भगवन के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के अवसर पर अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन स्तुत्य है । इस पुनीत अवसर पर मैं अपनी और से हार्दिक मंगलकामनाएं देता हूं और विश्वास करता हूं कि वीरप्रभु की कृपा से आचार्य भगवन स्वस्थ एवं प्रसन्न रहते हुए हमें सुदीर्घ काल तक मार्गदर्शन प्रदान करते रहेंगे । पूज्य आचार्य श्री के पावन चरणों में सविनय वन्दन ।
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