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श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ
वन्दनीय व्यक्तित्व
-प्रकाशचन्द हिम्मतमल, बागरा
साधकों का जीवन सभी के लिए वंदनीय अर्चनीय एवं पूजनीय होता है । कारण यह कि उनका जीवन अपने आप में ऊर्ध्वारोहण की यात्रा है । वे स्वयं संयम मार्ग पर चलते हैं तथा अन्य व्यक्तियों को भी प्रेरणा प्रदान करते हैं | वे सदैव भूले भटके राही को मार्गदर्शन प्रदान कर सही मार्ग पर चलने को प्रेरणा प्रदान करते हैं । यह तो समाज पर निर्भर करता है कि वह कितना ग्रहण करता है |
साधकों का सम्मान/अभिनन्दन उनके व्यक्तित्व का, कर्तव्य का सम्मान होता है । उनका व्यक्तित्व समाज को नई दिशा देने में सक्षम होता है । उनके संयम की सौरभ चहं ओर व्याप्त रहती है । वे चाहे कही भी रहे किंतु उनके गुणों की गंगा सर्वत्र प्रवाहित रहती है । भक्त उनके उपदेशामृत का पान कर आनन्द का अनुभव करता है।
आज जब समाज पूज्य राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म. के सम्मान में एक अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन कर उनके पावन कर कमलों में समर्पित करने जा रहा है तो मन आल्हाद से भर गया । उनका यह सारस्वत सम्मान सफल हो और नये कीर्तिमान स्थापित करे, यह हार्दिक शुभकामना करते हुए श्रद्धेय आचार्यश्री की स्वस्थ दीर्घायु की शुभकामना करते हुए उनके चरणों में कोटि कोटि वंदन ।
त्याग और वैराग्य की सौरभ
-घेवरचंद माणकचंदजी सेठ, भीनमाल अभिनन्दन उन्हीं व्यक्तियों का होता है, जिनके जीवन में त्याग और वैराग्य की सौरभ होती है । ऐसे ही व्यक्तित्व का अभिनन्दन ग्रन्थ भी प्रकाशित होता है जिसमें उनके त्याग और वैराग्य की सुरभि को अक्षर रूप प्रदान किया जाता है। अपने राष्ट्र और समाज के लिये बलिदान देनेवालों का भी अभिनन्दन होता है । इस धरा पर लाखों हजारों व्यक्ति प्रतिदिन जन्म लेते हैं किंतु उनमें से कितने अभिनन्दनीय व्यक्तित्व होते हैं । यह विचारणीय है । अनेक व्यक्तियों का जीवन विकार और वासना से, राग-द्वेष से कलुषित रहता है । ऐसे व्यक्तियों का कोई मान सम्मान भी नहीं होता और न ही स्मृति शेष रहती है ।
इस संदर्भ में यदि पूज्य राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. का व्यक्तित्व देखते हैं तो वह त्याग, वैराग्य और सेवा की सौरभ से सुरभित है और जन-जन के लिये आदर्श तथा अनुकरणीय है । ऐसे व्यक्तित्व का अभिनन्दन कर, उनके सम्मान में अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन, समर्पण कर हम स्वयं गौरवान्वित होते हैं । वे त्याग और वैराग्य की साक्षात प्रतिमूर्ति है ।
मैं आचार्यश्री के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के अवसर पर प्रकाशित अभिनन्दन ग्रन्थ की सफलता के लिये अपनी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं और आचार्य भगवान के सुदीर्घ स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए उनके श्री चरणों में कोटि कोटि वन्दन अर्पित करता हूं ।
हेमेन्द्र ज्योति* हेमेजन ज्योति
43 हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्त ज्योति
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