________________
श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन थ
भी प्रकार का कोई परिवर्तन देखने को नहीं मिलता है। आपकी दीक्षा हीरक जयंती और जन्म अमृत महोत्सव के अवसर पर प्रकाश्यमान अभिनंदन ग्रन्थ की सफलता की कामना के साथ ही आपके सुस्वस्थ एवं दीर्घायु जीवन की कामना करते हुए आपके चरणों में कोट-कोट वंदन।
4 प्रेरणास्रोत
-मुनि नरेन्द्रविजय नवल प.पू. कविरत्न आचार्य श्रीमद्विजय विद्याचंद्रसूरीश्वरजी म.सा. के पट्टधर पूराष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के जीवन का दृष्टिपात करें तो हम पाते हैं कि वहां कभी प्रमाद नहीं पाया जाता है। वे अपना कर्म स्वयं ही करते हैं। उनकी धर्म-साधना भी निरंतर चलती रहती है। आयु के इस पड़ाव में भी शिथिलता को कोई स्थान नहीं है। उनका समग्र जीवन हमारे लिए प्रेरणास्रोत है। पू.आचार्यश्री की दीक्षा हीरक जयंती एवं जन्म अमृत महोत्सव के अवसर पर उनके चरणों में कोटि कोटि वंदन करते हुए उनके सुदीर्घ एवं सुस्वस्थ जीवन की हार्दिक मंगल कामना है।
4 मंगल मनीषा
-उपाध्याय रमेशमुनि शास्त्री यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता का अनुभव हुआ कि पू. राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमदविजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के पावन अवसर पर एक अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन हो रहा है । पू. आचार्य श्री के गुण सम्पन्न व्यक्तित्व एवं संयमावधि को देखते हुए ऐसा करना स्वाभाविक ही है ।
मैं आपके इस आयोजन की सफलता की हृदय से कामना करता हूं और पू. आचार्य श्री के स्वस्थ एवं सुदीर्घ जीवन के लिये अपनी मंगल मनीषा प्रेषित करता हूं।
(प. पू. अध्यात्मयोगी साधना के शिखर पुरुष उपाध्याय श्री पुष्करमुनिजी म. के सुशिष्य ।)
सेवाभावी, निर्लिप्त संतराज
- कोंकण केसरी मुनि लेखेन्द्रशेखर विजय भारतीय संस्कृति में संतों का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है । इसका कारण यह है कि संतों के हृदय-स्रोत से सत्य, अहिंसा, संयम और तप के ऐसे निर्झर हैं जिनसे सदैव सत, पथगामिनी नदियां निरन्तर प्रवाहित होती है । ये सदैव मानव-मात्र ही नहीं प्राणिमात्र के लिये प्रयासरत रहते हैं । संत एवं संतवाणी संसारीयात्री के लिए एक नौका के समान है । संत सदैव सद्गुणों के बीजों का वपन करते है जिससे मानव सुख-शांति और आनन्द का दिव्य फल प्राप्त करते हैं ।
सेवा को जिन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य बनाया, बालकों में सुसंस्कार वपन करने का जिसने संकल्प लिया और आज भी उस संकल्प का पालन कर रहे हैं, ऐसे विरल सेवाभावी सरल स्वभावी, शांतहृदयी मौनसाधक, निरभिमानी, निर्लिप्त एवं सदैव सतत जाप साधना में रत रहने वाले परम श्रद्धेय राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्यदेव श्रीमद् विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के अवसर पर उनके सुदीर्घ स्वस्थ जीवन की हार्दिक शुभकामना करते हुए उनके चरणों में कोटि कोटि वंदन करता हूँ ।
हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति
6
हेमेन्द्र ज्योति* हेगेन्द्र ज्योति
rainelibrary