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श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ
जीवों ने वीतराग प्ररूपित मार्ग अपनाया है, जिन्होंने बागरा का नाम उज्ज्वल ही किया है । प्रातः स्मरणीय विश्ववंद्य अभिधान राजेन्द्र कोश के रचयिता, सौधर्मवृहत्तपागच्छ नभोमणि तीर्थराज मोहनखेड़ा संस्थापक भट्टारक परम पूज्य प्रभु श्रीमद्विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज के पंचम पट्टधर आचार्यदेव कविरत्न शासन प्रभावक श्रीमद्विजय विद्याचंद्र सूरीश्वरजी महाराज के सन् 1980 में देवलोक गमन के पश्चात् तत्काल आचार्य पद पर किसी को प्रतिष्ठित करने का निर्णय नहीं हो पाया । श्रीसंघ का कार्य किसी न किसी एक आचार्य अथवा मुनिराज के मार्ग दर्शन में चलता है । इस दृष्टि से उस समय श्रीसंघ ने वरिष्ठतम मुनिराज हेमेन्द्र विजयजी महाराज को गणाधीश मनोनीत करते हुए उनके मार्गदर्शन में कार्य करना सुनिश्चित किया ।
समय व्यतीत होता गया और पूज्य गणाधीश मुनिराज श्री हेमेन्द्र विजयजी ने अपनी निष्पक्ष कार्यशैली, सरल हृदय, शांतस्वभाव, निरभिमानता, समता व मिलनसारिता जैसे गुणों से सब पर एक अमिट छाप छोड़ी । आप एक आदर्श व्यक्तित्व के रूप में सबके सामने आये । लगभग तीन वर्षों का समय व्यतीत होने आया फिर भी आचार्य पद पर किसे प्रतिष्ठित किया जाय? यह प्रश्न अनुत्तरित ही रहा । अंततः श्री संघ ने पूज्य गणाधीश मुनिराज श्री हेमेन्द्र विजयजी का नाम पाटगादी के नगर आहोर में त्रिस्तुतिक चतुर्विध श्रीसंघ ने एकत्र होकर सं 2040 पौष सुदि 7 को आहोर में आचार्य पद देने का निर्णय लिया और संवत 2040 माघ सुदि 9 को हजारों मानव संघ की उपस्थिति में आचार्य पद पर स्थापित कर आचार्य श्री हेमेन्द्र सूरीश्वर नाम घोषित किया । गणाधीश व आचार्य के रूप में अभी तक जितना समय व्यतीत हुआ, उसमें श्रीसंघ आशातीत धर्माराधनाएं प्रतिष्ठायें, संघयात्रायें, दीक्षा आदि सम्पन्न हुई । आप श्री के मार्गदर्शन में श्री मोहनखेड़ा तीर्थ का भी विकास तीव्रगति से हुआ है और अभी भी हो रहा है । मानव सेवा की दृष्टि से जीवदया दृष्टि से भी आपश्री के मार्गदर्शन में उल्लेखनीय कार्य हुए हैं और हो रहे हैं ।
आपश्री के जन्म अमृत महोत्सव तथा दीक्षा हीरक जयंती के अवसर पर एक अभिनंदन ग्रंथ के प्रकाशन की योजना का मैं अनुमोदन करता हूं तथा इसकी सफलता के लिए हार्दिक शुभकामना के साथ परम पूज्य आचार्य श्री के सुदीर्घ जीवन की हार्दिक शुभकामना प्रेषित कर रहा हूं । शुभम् ।।
सरलता की प्रतिमा
मुनि सौभाग्यविजय
सरलता, सहजता, समता, दया और क्षमा की साक्षात् प्रतिमा प.पू.कविरत्न आचार्य श्रीमदविजय विद्याचंद्रसूरीश्वरजी म.सा. के पट्टधर पू. राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की दीक्षा हीरक जयंती के अवसर पर उनके सुस्वस्थ एवं दीर्घायु जीवन की हार्दिक कामना करते हुए इस अवसर पर प्रकाश्यमान अभिनंदन ग्रंथ की सपफलता की कामना है। इस अवसर पर पू. राष्ट्रसंतश्री के चरणों में कोटि कोटि वंदन। 4 समता योगी
पंन्यास रवीन्द्रविजय गणि वर्षों से प.पू. राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. का पावन सान्निध्य संप्राप्त है। प.पू.गुरुदेव कविरत्न आचार्य श्रीमद्विजय विद्याचंद्रसूरीश्वरजी म.सा. के पट्टधर के रूप में संघ और समाज को समान दृष्टि से अपना समान मार्गदर्शन प्रान कर रहे हैं। यदि आपको एक समतायोगी की संज्ञा दी जावे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। कारण कि आप हर परिस्थिति में समताधारण किये रहते हैं। किसी भी क्षण आपमें किसी
हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति
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हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति
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