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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ अयोध्यापुरम् के लिये विहार किया। मार्गवर्ती ग्राम-नगरों को पावन करते हुए आप अयोध्यापुरम् पधारे, जहां से आपके सान्निध्य में छः रि पालित संघ का श्री सिद्धाचल तीर्थ के लिए प्रस्थान हुआ । पालीताणा में वैसाख शुक्ला तृतीया (अक्षय तृतीया) सं. 2062 को आपने चार वैरागन बहनों को दीक्षाव्रत प्रदान किया । 1. 2. 3. 4. ****** सांसारिक नाम कु. पिंकी, आहोर कु. डिम्पल, आहोर ducation 1. 2. 3. 4. दीक्षा नाम साध्वीश्री परार्थयशाश्रीजी म. साध्वीश्री सुव्रतयशाश्रीजी म. साध्वीश्री उपशमयशाश्रीजी म. साध्वीश्री संवरयशाश्रीजी म. कु. डिम्पल, मांडानी कु. कविता यहीं आपने साध्वीश्री मणिप्रभाश्रीजी आदि साध्वियों को वर्षीतप के पारणे भी करवाये। पालीताणा के कार्यक्रमों की समाप्ति के पश्चात् आपने श्री मोहनखेड़ा तीर्थ के लिए विहार कर दिया। ग्रामानुग्राम विचरण करते हुए आप मेघनगर पधारे, जहां आपके द्वारा श्री गुरुमंदिर की प्रतिष्ठा सम्पन्न करवाई गई। यहां से विहार कर आप श्री मोहनखेड़ा तीर्थ पधारे। कुछ दिन यहां आपकी स्थिरता रही। तत्पश्चात् आपने अपने धर्म परिवार के साथ चातुर्मास के लिए जावरा के लिये विहार किया। मार्गवर्ती ग्राम-नगरों में विचरण करते हुए जावरा में चातुर्मास सन् 2005 के लिये समारोहपूर्वक आपका प्रवेशोत्सव सम्पन्न हुआ। चातुर्मास की अवधि में आपश्री श्री राजेन्द्र सूरि जैन दादावाड़ी में विराजित रहे। इस चातुर्मास की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि यहां प्रत्येक रविवार को आपके सान्निध्य में पू. ज्योतिषसम्राट मुनिराजश्री ऋषभचंद्रविजयजी म.सा. द्वारा महामांगलिक प्रदान की जाती थी। इस अवसर का लाभ लेने के लिये हजारों की संख्या में गुरुभक्तों का आगमन होता था। इतना ही नहीं, इस विशेष अवसर पर देश के प्रख्यात नेतागण तथा मंत्रीगण समय-समय पर आए, जिनमें भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लालकृष्ण आडवणी, विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष श्री अशोक सिंघल, विहिप के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीण तोगड़िया, म.प्र. के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल गौर, मंत्री सर्वश्री कैलाश चावला, हिम्मत कोठारी, पारस जैन, भाजपा के वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सत्यनारायण जटिया, प्रदेश भाजपा के श्री कप्तालसिंह सोलंकी आदि के नाम विशेष उल्लेखनीय है। इस चातुर्मास में नमस्कार महामंत्र की आराधना, पर्युषण पर्व की आराधना आदि अन्य धार्मिक कार्यक्रम भी समारोहपूर्वक सम्पन्न हुए। चातुर्मास की समाप्ति के पश्चात् आचार्यश्री ने जावरा से विहार कर दिया। जावरा से आपका पदार्पण चिरोलाकलां हुआ, जहां आपके सान्निध्य में श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा की प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई। यहां से खरासौदकलां, बड़नगर, बदनावर आदि स्थानों को पावन करते हुए आप श्री मोहनखेड़ा तीर्थ पधारे, जहां आपके सान्निध्य में गुरु सत्पमी पर्व समारोहपूर्वक मनाई गई। इसी अवसर पर आपने प.पू. गुरुदेवश्री राजेन्द्रसूरिजी म. की निर्वाण शताब्दी महोत्सव के कार्यक्रमों की भी घोषणा की । गुरु सप्तमी के पश्चात् आप विहार कर आहोर पधारे, जहां आपके सान्निध्य में दिनांक 8-2-2006 से 26–3–2006 तक उपधान तप का आयोजन हुआ। दिनांक 26-2-2006 को उपधान तप की माल होने के पश्चात् आप नाकोड़ा तीर्थ पधारे। वहां से विहार कर धाणसा पधारे, जहां सौ वर्ष में प्रथम बार दिनांक 22-4-2006 को कु.शिल्पा साहिबचंदजी परियात को दीक्षाव्रत प्रदान किया। वहां से आप कोशीलाव पधारे। वहां दिनांक 30-4-2006 को कु. मनीषा पारसमलजी को दीक्षाव्रत प्रदान कर विहार किया और तखतगढ़ पधारे, जहां दिनांक 3-5-2006 को कु. शर्मिला भीकमचंदजी को दीक्षाव्रत प्रदान कर श्री मोहनखेड़ा तीर्थ के लिये प्रस्थान किया। श्री मोहनखेड़ा तीर्थ में भव्य समारोह के साथ सन् 2006 चातुर्मास के लिये दिनांक 2-7-2006 को आपका प्रवेश हुआ और इसके साथ ही चातुर्मासिक कार्यक्रम प्रारम्भ हो गए। हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति 57 हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति www.jainelibrary.or
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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