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________________ Education Int श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ आहोर वर्षावास में श्री नवकार महामंत्र की सामूहिक आराधना, पर्युषण पर्व की आराधना आदि हुई। इस वर्षावास में तपश्चर्यायें भी अच्छी संख्या में हुई। विभिन्न धर्माराधनाओं के साथ आहोर वर्षावास उत्साह उमंग एवं उल्लास के साथ सानंद सम्पन्न हुआ और वर्षावास समाप्ति के पश्चात् पू. आचार्यश्री ने आहोर से विहार कर दिया। ग्रामानुग्राम विचरण करते हुए आचार्यश्री भूति पधारे, जहां पंचाह्निका महोत्सव के साथ गुरु सप्तमी पर्व समारोहपूर्वक मनाया गया। भूति के कार्यक्रम की समाप्ति के पश्चात् आचार्यश्री ने अपने मुनिमंडल के साथ विहार कर दिया। आप भूति से पावानगर पधारे, जहां माह पौष 2060 में ही अठारह अभिषेक सहित त्रिदिवसीय भक्ति महोत्सव का आयोजन आपके पावन सान्निध्य में सानन्द सम्पन्न हुआ और फिर आचार्यश्री भगवंत के सान्निध्य में बारह दिवसीय (दिनांक 12-1-2004 से 23-1-2004) छ:रि पालित संघ का आयोजन प्रारम्भ हुआ। आचार्यश्री संघ सहित दिनांक 23-1-2004 को सुप्रसिद्ध जैन तीर्थ श्री नाकोड़ाजी पधारे। यहां संघपतियों के सम्मान में दिनांक 23-1-2004 को संघमाल का कार्यक्रम आचार्यश्री के सान्निध्य में सानंद सम्पन्न हुआ। तत्पश्चात् एक माह तक आपकी यहां स्थिरता रही। इस अवधि में आचार्यश्री ने श्री पार्श्वनाथ राजेन्द्र धाम तीर्थ के चल रहे निर्माण कार्यों का अवलोकन किया तथा आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान किया। फिर आचार्यश्री ने यहां से विहार कर दिया और मारवाड़ के विभिन्न ग्रामों में विचरण कर जिनवाणी का प्रचार-प्रसार किया। विभिन्न ग्राम-नगरों में विचरण करने के पश्चात् आपश्री का श्री नाकोड़ा तीर्थ पर पुनः पदार्पण हुआ, जहां वैशाख शुक्ला पंचमी, सं. 2061 को श्री नाकोड़ा में श्री लब्धिदायक पार्श्वनाथ जिनमंदिर एवं गुरुमंदिर का शिलान्यास कार्यक्रम आपश्री के सान्निध्य में सानन्द सम्पन्न हुआ और फिर आपने यहां से विहार कर दिया। मार्गवर्ती ग्राम-नगरों को पावन करते हुए आपका पदार्पण अपनी जन्मभूमि बागरा में हुआ। बागरा में आपके सान्निध्य में गुरु मंदिर के ध्वज एवं कलशारोहण का कार्यक्रम पंचाह्निका महोत्सव के साथ उत्साहपूर्वक सम्पन्न हुआ । यहीं विभिन्न श्रीसंघों ने आपश्री से अपने-अपने यहां संवत् 2061 के चातुर्मास के लिये विनतियां की। देश काल परिस्थिति को देखते हुए एवं श्री नाकोड़ा में चल रहे श्री पार्श्वनाथ राजेन्द्र धाम तीर्थ के निर्माण कार्यों को ध्यान में रखते हुए आपने निम्नांकित महानुभावों की ओर से संवत् 2061, सन् 2004 का चातुर्मास नाकोड़ा में करने की स्वीकृति प्रदान कर दी। आपश्री की इस घोषणा से तत्काल जय जयकार के निनाद गूंज उठे। 1. शा. श्री धनराजजी चुन्नीलालजी तांतेड़, भीनमाल 2. शा. श्री रमेशकुमार पुखराजजी वाणीगोता, भीनमाल 3. शा. श्री महेन्द्रकुमार नरपतलालजी कोठारी, भैसवाड़ा 4. शा. श्री सम्पतराज हीराचंदजी जैन, बागरा 5. शा. श्री प्रकाशचंद्र हिम्मतलालजी जैन, बागरा 6. शा. श्री कल्याणचंद नथमलजी जैन, बागरा बागरा का कार्यक्रम समाप्त होने के पश्चात् आपने बागरा से विहार कर दिया और विभिन्न ग्राम-नगरों में धर्म प्रचार करते हुए आपश्री चातुर्मास के लिये श्री नाकोड़ा पधारे, जहां दिनांक 2,-6-2004 को आपका चातुर्मास प्रवेशोत्सव समारोहपूर्वक सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर विभिन्न ग्राम-नगरों के श्रीसंघ एवं गुरु भक्तों का आगमन हुआ । आचार्यश्री के प्रवेशोत्सव के साथ ही यहां चातुर्मासिक आराधनाएं प्रारम्भ हो गई। यथासमय श्री नवकार महामंत्र की आराधना एवं श्री पर्यूषण पर्व की आराधना सानन्द सम्पन्न हुई। विभिन्न कार्यक्रमों के साथ ही तीर्थ विकास की रूपरेखा भी तैयार की गई। विशेष कारणवश अभी आपकी यहीं स्थिरता बनी हुई है। दिसम्बर 2004 के प्रारम्भ में आचार्यश्री एकाएक अस्वस्थ हो गए। उपचारार्थ जोधपुर होते हुए आपका पदार्पण मुम्बई हुआ। योग्य उपचार के पश्चात् आपने कुछ दिन मुम्बई में ही विश्राम किया। तत्पश्चात् आपने मुम्बई से हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति 56 हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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