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श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ
वर्षावास की समाप्ति के पश्चात् पू. आचार्यश्री ने भीनमाल से विहार किया और शंखेश्वर पधारे । शंखेश्वर से आपका पदार्पण पालीताणा हुआ । जहां श्री बालचंदजी सरेमलजी रामाणी, गुढाबालोतान द्वारा नवाणु की यात्रा का आयोजन आपके सान्निध्य में किया गया जिसमें 300 आराधकों ने भाग लेकर लाभ लिया । पालीताणा से विहारकर विभिन्न ग्राम नगरों में गुरुगच्छ की धर्मध्वजा फहराते हुए आपश्री श्री मोहनखेडा तीर्थ पधारे । श्री मोहनखेडा तीर्थ की पावन भूमि पर आपके सान्निध्य में एक वृहद् आदिवासी सम्मेलन का आयोजन सम्पन्न हुआ। स्मरण रहे कि आदिवासियों को व्यसन मुक्त जीवन जीने की प्रेरणा इस प्रकार के सम्मेलनों में दी जाती है । इन सम्मेलनों से प्रेरित होकर हजारों की संख्या में आदिवासी भाईयों ने व्यसनों का त्याग किया है । आदिवासियों के सामाजिक सुधार आदि में ज्योतिषसम्राट मुनिराज श्री ऋषभचन्द्रविजयजी म.सा. 'विद्यार्थी का विशेष योगदान है। आदिवासियों को व्यसन मुक्त करने और सदाचार का जीवन व्यतीत करने के लिये वे उन्हें सतत् प्रेरणा प्रदान करते रहते हैं ।
समय अपनी गति से चलता रहता है, वह किसी की प्रतीक्षा नहीं करता है | समय व्यतीत होता रहा और वर्षावास का समय भी निकट आता जा रहा था । विभिन्न श्री संघों से वर्षावास के लिये आपकी सेवा में विनतियां आ रही थी । आपने देश काल परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए और श्री संघ राजगढ़ जिला धार की भावना को मान देते हुए वि. सं. 2055 के वर्षावास के लिए साधु भाषा में स्वीकृति प्रदान कर दी । इससे श्री संघ में हर्ष की लहर व्याप्त हो गई और वर्षावास के लिये तैयारियां प्रारम्भ हो गई ।
वर्षावास का समय समीप आया और आपश्री श्री मोहनखेडा तीर्थ से राजगढ़ पधारे । आपश्री का वर्षावास हेतु प्रवेशोत्सव समारोहपूर्वक सम्पन्न हुआ । प्रवेशोत्सव का चल समारोह नगर के विभिन्न मार्गों से होता हुआ वर्षावास स्थल हाथीवाला जिन मंदिर में जाकर धर्मसभा में परिवर्तित होगया । यहां वक्ताओं ने अपनी अपनी भावनाएं व्यक्त की और इसके साथ ही वर्षावास कालीन क्रियाएं प्रारम्भ हो गई ।
सं. 2055 का वर्षावास राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आयार्य श्रीमद विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा., पू. कोंकण केसरी मुनिराज श्री लेखेन्द्रशेखर विजयजी म.सा., पू. ज्योतिषसम्राट मुनिराज श्री ऋषभचंद्र विजयजी म. सा. तथा अन्य मुनि भगवंतों का राजगढ़ जिला धार में सम्पन्न हुआ । इस वर्षावास में विभिन्न धार्मिक क्रियाओं के साथ सामूहिक नवकार महामंत्र आराधना, तथा अनेक तपस्यायें भी सम्पन्न हुई । सम्पूर्ण वर्षावास काल में दर्शनार्थियों का निरन्तर आवागमन बना रहा । स्मरण रहे कि यह स्थान विश्व पूज्य प्रातः स्मरणीय गुरुदेव श्रीमज्जैनाचार्य श्रीमद विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. का स्वर्गारोहण स्थान है, इस कारण इसका विशेष महत्व है।
वर्षावास सानन्द सम्पन्न हुआ और पू. आचार्यश्री ने राजस्थान की ओर विहार किया । मार्गवर्ती विभिन्न ग्राम नगरों को पावन करते हुए आप जालोर जिले के ग्राम भेंसवाडा पधारे यहां दिनांक 31-1-1999 सं. 2055 माघ शुक्ला चतुर्दशी को नवनिर्मित जिनालय में मूलनायक श्री शीतल शांतिनाथ आदि प्रभु के जिन बिम्बों, श्री गौतमगणधर, पू. गुरुदेव श्रीमद विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. एवं श्री भैरवनाथ व श्रीमणिभद्र इन्द्रदेव की प्रतिमाओं की अंजनशलाका प्रतिष्ठा दशान्हिका महोत्सव सहित सानंद सम्पन्न किया और वहां से विहार कर आप आहोर पधारे।
आहोर में आचार्य भगवन के परम पावन सान्निध्य में श्री गोडीजी पार्श्वनाथ तीर्थ का शताब्दी समारोह विविध धार्मिक कार्यक्रमों के साथ सानन्द सम्पन्न हुआ । इन दोनों कार्यक्रमों के पश्चात् आचार्यश्री ने आहोर से विहार किया और आपश्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ पधारे । कुछ दिनों तक यहां स्थिरता रही फिर यहां से मुनिमंडल के साथ श्री मोहनखेडा तीर्थ के लिये विहार किया । मार्गवर्ती ग्राम-नगरों में जैनधर्म की ध्वजा फहराते हुए पू. राष्ट्रसंत शिरोमणि श्री मोहनखेडा तीर्थ पधारे जहां आपके सान्निध्य में ओली जी की आराधना का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ।
पू. राष्ट्रसंत शिरोमणिजी म. आदि मुनिमंडल एवं साध्वी मंडल का श्री मोहनखेडा तीर्थ से विहार हुआ और मार्गवर्ती ग्राम-नगरों का पावन करते हुए आप सिमलावदा जिला रतलाम पधारे । आपके यहां पदार्पण से हर्षोल्लास की लहर व्याप्त हो गई, साथ ही प्रतिष्ठा के कार्यक्रम भी प्रारम्भ हो गये । यहां पधारने पर आपश्री का समारोहपूर्वक प्रवेशोत्सव सम्पन्न हुआ। पू. कोंकण केसरीजी म. भी अपने शिष्य परिवार के साथ यहां पधार गये । सिमलावदा में
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