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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ ..... ............... की बैठक व्यवस्था मुख्य मंच के ठीक सामने थी और उसे मुख्य रूप से दो भागों में विभक्त किया गया था । एक भाग श्रावकों के लिए और दूसरा भाग श्राविकाओं के लिये निर्धारित किया गया था । सबसे आगे प्रमुख अतिथियों के बैठने की व्यवस्था की गई थी । जैसे जैसे शुभ मुहूर्त का समय निकट आता जा रहा था, वैसे वैसे गुरुभक्तों की संख्या में वृद्धि होती जा रही थी । ऐसा प्रतीत हो रहा था कि यहां का विशाल प्रांगण भी आज छोटा पड़ जावेगा। इसी समय उद्घोषणा हुई कि मुनिराज एवं साध्वीजी म. पधार रहे हैं । उनके पधारने के कुछ ही क्षणोपरांत मनोनीत आचार्यश्री मुनिमण्डल सहित पधारने वाले हैं । आप सब शांति बनाये रखें । मनोनीत आचार्यश्री के पधारते ही कार्यक्रम प्रारम्भ हो जावेगा । इस उद्घोषणा के साथ ही जैनधर्म की जय । गुरुदेवश्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी म. की जय के निनादों से गगन मंडल गूंज उठा । जय जयकार के निनाद अभी थम भी नहीं पाये थे कि पुनः उद्घोषणा हुई सभी अपने अपने स्थान पर बैठ रहे । मनोनीत आचार्य श्रीमुनिमण्डल सहित पधार रहे हैं । कृपया शांति बनाये रखें । जय जयकार के निनादों के साथ मनोनीत आचार्यश्री हेमेन्द्र विजयजी म.सा. ने पदार्पण किया। इनके साथ स्वगच्छीय वरिष्ठ मुनिराज तो थे ही इस अवसर पर विशेष रूप से पधारे आचार्य श्रीमद विजय लब्धिचन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. भी अपने शिष्य परिवार सहित उपस्थित थे । सबने आसन ग्रहण किया और मंगलाचरण के साथ ही कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ । सामान्य औपचारिकताओं के पश्चात् मुनिराजश्री हेमेन्द्र विजयजी म.सा. को सूरिमंत्र प्रदान कर आचार्य पदसे अलंकृत कर उनका नाम आचार्य श्रीमंद विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. घोषित किया गया । इसी बीच वहां उपस्थित हजारों की संख्या में गुरुभक्तों ने अनुभव किया कि उनके ऊपर कुछ गिर रहा है । देखने पर ज्ञात हुआ कि जो गिर रहा है, वह फूल और फूल की पखुडियों हैं । सभी आश्चर्यचकित हो उठे कि यह पुष्प वर्षा कहां से हो रही है? सबकी दृष्टि आकाश की ओर उठ गई तो पाया कि एक हेलिकाप्टर के द्वारा पुष्प वर्षा की जा रही है। इधर सूरिमंत्र प्रदान किया जा रहा था और उधर आकाश से पुष्प वर्षा हो रही थी । इस अनुपम दृश्य को देखकर सभी उपस्थित दर्शनार्थी जय जयकार कर उठे। इस प्रकार विश्वपूज्य प्रातः स्मरणीय गुरुदेव श्रीमज्जैनाचार्य श्रीमद विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. के छठे पाट पर आचार्य श्रीमद विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. को समारोहपूर्वक प्रतिष्ठित किया गया । आचार्य के रूप में : आचार्यपद से अलंकृत होने के पश्चात् आचार्यप्रवर श्रीमद विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. ने अपने मुनिमण्डल के साथ आहोर से विहार किया । मार्गवर्ती ग्राम-नगरों में आपको आचार्य के रूप में पधारने पर अधिक उत्साह पाया गया । स्थान-स्थान पर आपका स्वागत-सम्मान भी किया गया । चैत्र कृष्णा 10 को मुनिराज श्री लक्ष्मणविजयजी म.सा. का अहमदाबाद में निधन हो गया । उनके निधन से संघ की अपूरणीय क्षति हुई । समाज में शोक की लहर व्याप्त हो गई। __जालोर, बागरा, सांथू, बाकरा रोड, बाकरा, रेवतडा, धानसा, मोदरा, बोरटा, नरता आदि ग्राम नगरों में धर्म ध्वजा फहराते हुए आचार्यश्री का पदार्पण चैत्र शुक्ला पूर्णिमा सं 2041 को भीनमाल में हुआ । आपके यहां पदार्पण से संघ में उत्साह की लहर फैल गई। भीनमाल से विहार कर भरुड़ी, रामसेन, मोटागांव, पालड़ी, सिरोही होते हुए वामनबाड़जी पधारे । वहां से उयदपुर, केशरियाजी, बांसवाड़ी, बामनिया, पेटलावद, झकनावदा आदि ग्राम नगरों में होते हुए श्री मोहनखेडा तीर्थ पधारे । आपके यहां पधारते ही विभिन्न ग्राम-नगरों के श्रीसंघों का आगमन होने लगा और आगामी वर्षावास के लिये विनंतियां होने लगी । देशकाल परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए आचार्यश्री ने सं 2041 के वर्षावास की स्वीकृति साधु भाषामें जावरा श्रीसंघ को प्रदान कर दी । जैसे ही जावरा वर्षावास की घोषणा हुई वैसे ही जावारा श्रीसंघ का उत्साह द्विगुण्ति हो गया और जय जयकार के निनादों से गगनमंडल गुजा दिया। कुछ दिन श्री मोहनखेड़ा तीर्थ की पावन भूमिपर आपकी स्थिरता रही और फिर वर्षावास काल निकट जानकर जावरा की ओर विहार कर दिया । राजगढ़ सरदारपुर पधारने पर स्वामीवात्सल्य का आयोजन हुआ । फिर जोलाना, लाबरिया, राजोद, छायन, बदनावर काछीबडोदा, रूणीजा, मड़ावदा, खाचरोद, बड़ावदा होते हुए वर्षवास हेतु आषाढ़ शुक्ला एकादशी सं 2041 को जावरा में समारोहपूर्वक प्रवेश किया । आपके प्रवेश के समय श्री संघ जावरा का हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति 38 हेमेन्द्र ज्योति* हेगेन्द्र ज्योति
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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