________________
WASTRATORS
gঙ, খচ্চ
कोंकण केशरी मुनिराज श्री लेखेन्द्रशेखरविजयजी ओजस्वी जिनकी वाणी है मंत्र साधना के जो ज्ञानी है कोंकण केशरी से जो है अलंकृत ये लेखेन्द्रशेखरविजयजी निरभिमानी है।
CSSE
ज्योतिषसम्राट् मुनिराज श्री ऋषभचंद्रविजयजी
उद्भटज्योतिषविद्या के विद्वान भक्त जिनके करते रहते गुणगान
मुनिराज ऋषभचंद्रविजयजी है ये श्रावक, नेता, अधिकारी करते जिनका सन्मान
( PARTY-TE:
मुनिराज श्री प्रीतेशचंद्रविजयजी ये है सूरि हमेन्द्र के शिष्य प्रधान प्रीतेशचंद्रविजय है जिनका नाम बड़ी चतुराई से ये काम करवाते है। चमकायेंगे ये अपने गुरुवर का नाम
मुनिराज श्री चंद्रयशविजयजी
चन्द्रसम शीतल जिनका व्यवहार है। गुरु हेमेन्द्रसूरि की आज्ञा पालन को तैयार है।
मुनि चन्द्रयशविजय कहलाते है ये जीवन प्रभात से ही सच्चा इनका आचार है।
संपादक डॉ. तेजसिंह गौड़
Jain Education International
For Private & Personal use only
www.jainelibrary.org