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________________ प. पू. संयमवयस्थवीर मुनिराज श्री सौभाग्यविजयजी म.सा. मार्गदर्शक स्व. प. पू. ज्योतिषाचार्य मुनिप्रवर श्री जयप्रभविजयजी म.सा. सीधे सादे सरल स्वभावी, जिसने बजाया काशी में ज्योतिष का डंका वह मुनि जयप्रभविजय है ज्योतिष में बंका नित साधना में रहते लीन, मृदुभाषी, मितभाषी, नवकार में रहते तल्लीन, काशी विद्वत्परिषदने ज्योतिषाचार्य से अलंकृत किया, ये हैं संयमस्थवीर मुनि श्री सौभाग्यविजयजी म.सा. इसने गुरु का नाम रोशन किया। जैनधर्म दिवाकर मुनिराज श्री नरेन्द्रविजयजी म.सा. नर में जो इन्द्र है वही नरेन्द्र है, वह कवियों में कवीन्द्र है, जैन दिवाकर की पदवी से विभूषित जो है, वही प्रवचनपटु मुनि नरेन्द्रविजय 'नवल' है। पंन्यास प्रवर श्री रवीन्द्रविजयजी म.सा. आध्यात्मयोगी मुनिराज श्री जयशेखरविजयजी म.सा. For Private & Personal Use Only रवि सम जो चमक रहा है, विद्या के उपवन में जो महक रहा है, गुरुपदपूजन का जिसने संकल्प किया, पंन्यासप्रवर रवीन्द्रविजय का नाम चमक रहा है। ये मुनि जयशेखरविजयजी निरभिमानी है, ज्योतिष, हस्तरेखा के विज्ञानी है, जितना इनसे जान सको जानो, ऐसे ये मुनिराज गुणखानी है। *
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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