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भिखारी की शिक्षा
भिखारी या रंक आपके दरवाजे पर आ कर पुकार करता है, तब वह आपको एक शिक्षा देता है। वह कहता है- हमने पुण्यार्जन नहीं किया। इससे हमारी यह दशा हुई है। यदि तुम भी हम गरीबों पर दया नहीं करोगे तो तुम्हारी भी यह दशा होगी। हम ठकरा लेकर घर-घर फिरते हैं, इसी प्रकार तुम्हें भी फिरना पड़ेगा।
क्षमा
यथाशक्ति तपस्या तो करनी ही चाहिये। पर तपस्या के साथ क्षमा धारण करना भी अत्यन्त आवश्यक है।
तप का अर्थ
सिर्फ शरीर को सुखाने का नाम ही तप नहीं है। शरीर के साथ जो अपराध करने वाले रागद्वेष हैं - उनको सुखाने की जरूरत है। और तप का सही अर्थ भी यही है।
सुधार
यथार्थ बात कोई नहीं कहता। तुम्हारा लिहाज साधु करते हैं और तुम साधु का। यही कारण है कि सुधार नहीं हो पाता। जहां "तिन्नाणं तारयाणं" था वहां अब "डुब्बाणां डोबिया'" हो गया।
- विजय वल्लभ सूरि