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________________ इस आत्मवल्लभ' स्मारिका में पूज्य आचा गुरुदेवों की स्मृतियां जाने में सबसे बड़ी समस्या समय की रही, स्वल्प समय में गुरुतर कार्य करना कठिन था तवापि विद्वान लेखका कवियों एवं विचारकों ने परी तत्यामा दिखाकर अपने लेख, कविताएँ और उद्गार जपण्य और स्थान की कमी के कारण सबको स्मारिका में स्थान है। पाना सम्भव नहीं हो पाया। फिर भी जिन्होंने अपने लख तथा रचनाएँ भेजी जुन सभी विचारकों के हम आभारी है स्मारिका सम्पादन में हिंदी हलती व अंग्रेजी कलह सम्पादक क्रमश पडित थी अब बनारायण धेरै विचदी श्री वीरेन्द्र कुमार जैन एवं श्रीराधव प्रसाद पांडेय, डा रमन डॉ. कुमारपाल देसाई तथा सिंह का सहयोग सराहनीय हैं। स्मारिका की रूप म महाकार श्री. कामि, एका का योगद उल्लेखनीय है। संयोजक एवं प्रकाशक श्री नरन्द्र प्रकार्या जन एवं श्री प्रदर्शन कमार जैन श्री आत्मवहन नि शिक्षण धि विज्ञापन वाया में इस्काश अन मुद्रक श्री बनन्द प्रेस श्री आत्मानन्द जैन ने कीला स्मारक प्रतिष्ठा महात्यन्त समिति, अनुवाद वासपज्य स्वामी ट्रस्ट के समस्त स्टीगण के अतिरिक्त जिन प्रत्यक्ष-अगत्यक्ष रूप से जई ने भी दिसा के पात्र HETH विद्या आमवल्लभ सारिका एक प्रति है। इसे यथाशक्य सब दृष्टियों से सर्वोत्तम बनाने का प्रयास किया गया है फिर भी शीघ्रता के कारण वटियों का रह जाता उसे सुधार कर पढ़ें।" Jain Educason international गणि नित्यानन्त्र www.jainelibra
SR No.012062
Book TitleAtmavallabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagatchandravijay, Nityanandvijay
PublisherAtmavallabh Sanskruti Mandir
Publication Year1989
Total Pages300
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size55 MB
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