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________________ संस्कृत में आकृत तथा जैन विद्या का अध्ययन करने के इच्छक (5) स्यादवाद रत्नाकर। छात्र-छात्राओं को 150 रु० प्रतिमाह छात्रवृत्ति देने की (6) जैन साहित्य का इतिहास। व्यवस्था है। एम.ए. में जो छात्र-छात्राएं जैन दर्शन और आकृत (7) वैदिक ग्रन्थ माला (30 भाग) लेकर अध्ययन करते हैं उन्हें 250 रु० प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जाती है। इसी प्रकार एम.फिल. तथा पी.एच.डी. की उपाधि हेतु 7.लिपिज्ञान प्रशिक्षण जैन विद्या पर शोध कार्य करने वाले छात्रों को क्रमशः 400/___हस्तलिखित ग्रन्थों पर शोध कार्य संपादन तथा अनुवाद कार्य माता-पिता से रु० व 600/- रु० प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जाती है। करने हेतु हस्तलिखित ग्रन्थों की लिपि का ज्ञान लेना आवश्यक है। इस उद्वेश्य से संस्था ने समय-समय पर पं. श्री लक्षमण भाई इन छात्रवृत्तियों के रूप में दी जाने वाली धनराशि जिस बालक का हृदय कोमल और निर्दोष होता है. उसमें भोजक जी की सहायता ली है। सन् 1983-84 में महत्तरा साध्वी सुसंस्कारों का सिंचन करोगे तो भविष्य में तुम्हें व्यक्ति या संस्था द्वारा दी जाती है उसका नाम संस्था के नाम के उसकी छाया शीतलता प्रदान करेगी। श्री मृगावती जी ने अपने साध्वी मंडल सहित इस लिपि का साथ जोड़कर दिया जाता है। प्रशिक्षण प्राप्त किया था। उसके पश्चात् साध्वी सुयशा श्री जी 5. 'शोध कार्य और सुप्रज्ञा श्री जी, शोध सहायिका डॉ. अरुणा आनन्द तथा सवाल नाक का संस्थान में शोध कार्य हेतु कार्य करने वाले विद्वानों को। पुस्तकालय सहायक श्री अभयानंद पाठक ने भी जन 1986 तथा लोग नाक रखने के लिए सब कुछ करते हैं। मैं पूछता शिक्षावृत्ति देने का प्रबन्ध भी किया गया है। डॉ०(क.) अरुणा मार्च 1988 में पं. श्री लक्षण भाई भोजक जी से लिपि ज्ञान का हूं कि हाथी से बड़ी नाक किसकी है? है कोई लाभ आनन्द ढाई वर्ष से नियमित रूप से शोध-सहायक के पद पर कार्य प्रशिक्षण प्राप्त किया। उससे? क्या आपने कभी गरीब-गुरबों का ख्याल कर रही है। अप्रैल, 1988 से बनारस के डॉ० उमेश चन्द्र सिंह भी 8. शोध कार्य किया है। शोध सहायक के रूप में संस्थान की ओर से शिक्षावृत्ति ग्रहण कर रहे हैं। संस्थान की ओर से इनके शोध प्रबन्धों को प्रकाशित आगमों एवं श्रेष्ठ जैन ग्रन्थों का संपादन, पाठनिर्धारण, करने की व्यवस्था की जायेगी। अंग्रेजी व हिन्दी भाषाओं में अनुवाद, पी.एच.डी. अथवा डी.लिट, धनवान की उपाधि हेत् पुस्तक शोध प्रबन्धों का प्रकाशन, तुलनात्मक धनवान धन को तिजोरी में रख कर लोहे का टुकड़ा 6. प्रकाशन अध्ययन, लिपिज्ञान प्रशिक्षण, शोध पत्रिका व पाठ्य पुस्तकों का संस्थान की ओर से अब तक सात ग्रन्थों का प्रकाशन किया प्रकाशन आदि संस्थान की विविध योजनाएं हैं। अपने पास रखता है। जा चुका है। भविष्य में अन्य अनेक ग्रन्थ के प्रकाशन की योजना 9. साधु साध्वी प्रशिण केन्द मेरा दृष्टिकोण भी संस्था द्वारा बनाई गई है। अब तक प्रकाशित गन्थ की सूची इस प्रकार हैं:- पंचसूत्र, स्टडीज इन संस्कृत साहित्य शास्त्र, साधु-साध्वियों के अध्ययन के लिए उच्चस्तरीय अध्ययन मैं यह नहीं कहता कि जैन धर्म के सभी सम्प्रदायों का जैन भाषा दर्शन, रस थियोरी, गाहाकोश (हाला द्वारा रचित), प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किया गया है। विलीनीकरण हो जाये। ऐसा होना दुःशक्य है। जैन धात प्रतिमालेख संग्रह (पाटण) और प्राकृत बसिस इन 10. संग्रहालय किन्तु परस्पर समन्वयीकरण तो होना ही चाहिए। संस्कृत वर्क्स ऑन पोयटिक्स (भाग-2)। वास्तुकला, मूर्तिकला और चित्रकला किसी भी देश व समाज कम से कम विचार-आचार की सहिष्णुता रखकर इस वर्ष अनेक अन्य पुस्तकों के प्रकाश की योजना है जिनके । की सभ्यता और संस्कृति का अनिवार्य प्रतीक है इसलिए जैन एकीकरण तो अवश्य होनी चाहिए। यही वर्तमान नाम है: सभ्यता व संस्कृति के विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिए एक युग की मांग है। जैन एकता के पीछे मेरा यही (1) "आचार्य हरिभद्र" संगोष्ठियों में पठित लेख। ऐसा संग्रहालय तैयार करने की योजना बनाई गई है। जिसमें | दृष्टिकोण है। (2) अर्हन् पार्श्व संगोष्ठी में पठित लेख प्राचीन कलाओं, लिपियों और शिल्पों के विभिन्न नमूनों का संग्रह -विजय वल्लभ सूरि (3) मुनि न्यायविजय द्वारा लिखित (गुजराती) जैन दर्शन का . किया जाएगा। कुछ विशिष्ट हस्तलिखित गन्थों के नमूने भी रखें अंग्रेजी अनुवाद जायेंगे। यही नहीं माइक्रो फिल्म की व्यवस्था भी की जायेगी। (4) आचार्य श्री बल्लभ सूरीश्वर जी महाराज एवं महत्तरा अभी अनेक प्राचीन मूर्तियों तथा विशिष्ट हस्तलिखित प्रतियों को साध्वी जी मृगावती जी महाराज का व्यक्तित्व। संग्रह कर लघु संग्राहलय बनाया गया है। For Private & Personal Use Only Jain Education Interational www.jainelibrary.org
SR No.012062
Book TitleAtmavallabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagatchandravijay, Nityanandvijay
PublisherAtmavallabh Sanskruti Mandir
Publication Year1989
Total Pages300
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size55 MB
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