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मातेश्वरी पद्मावती तेरे चरणों में शत शत नमन, माता जी पद्मावती। तेरे सिमरण से दुरित शमन, माता जी पद्मावती।। पार्श्व प्रभु जी की तुम, अधिष्ठायिका हो।
मातृशक्ति की तुम, परिचायिका हो।। सब के मन में तेरा ही रटन, माता जी...।।१।।
श्री संघ को तुम, सिद्धि दायिका हो। जन जन को तुम, मंगल कारिका हो।। तेरे दर्शन से भक्त प्रसन्न माता जी...।।२।। वल्लभ स्मारक की, मां! तम सहायिका हो। समकित धारी को तुम, आनन्द दायिका हो।। धाम तेरा हो सुख का सदन, माता जी...।।३।।
माघव, शुक्ल एकादशी, तारिका हो। प्रतिष्ठा श्री संघ को, शभ कारिका हो।।
"शील बाल को वल्लभ शरण। प्यारा लगता है, तेरा भवन ।। माता जी...।।४।।
साध्वी मृगावती
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