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बल्लमयी
याILD
- प्रेरणा देकर निर्माण करवाना। सचमुच में गुरु वल्लभ ने एकनिष्ठ बनकर, गुरु चरणों में समर्पित होकर विरोधियों के विरोध की चिंता किये बिना ही गुरु
आत्माराम के स्वप्न को साकार बनाने का पूर्ण प्रयास किया। विरोधियों ने गुरु आत्म की अन्तिम यात्रा के समय आक्षेप लगा दिया था, विषपान का लेकिन । पुलिस भी अचम्भित हो गई, जिसके लिए सब कुछ आत्माराम है ? उस पर कैसी शंका। पुलिस का भी माथा वल्लभ गुरु के सामने झुक गया था। गुरु । वल्लभ अपने जीवनकाल में जो भी काम संघ समाज के लिए किए वे सारे भगवान महावीर व गुरु आत्माराम जी के नाम पर कर उन्हें समर्पित किये। ये। - "गुरु वल्लभ" की सच्ची गुरुभक्ति-समर्पणता का ही वास्तविक नमूना है। जो अपने जीवन में सच्ची प्रेरणा रूप है। अपने परमोपकारी गुरु वल्लभ तो. प्यारे गुरु आत्माराम के प्रति कितने समर्पित थे जिनकी जीवन झांकी आज भी हमें बताती है।
ऐसे हमारे हृदय सम्राट, प्राणाधार, गुरु वल्लभ के प्रति एक निष्ठ होकर, श्रद्धा समर्पण के द्वारा उन्हीं गुरु वल्लभ ने जैन समाज में जो साधर्मिक । भक्ति, शिक्षा संस्थान, मानव सेवा मंदिर रूप चिकित्सा आदि के उपवन लगाये हैं। हम सच्ची भक्ति को गुरु के प्रति रखते हुए उनकी लगाई बगिया का श्रद्धा-भक्ति से सिंचन करें। इस स्वर्गारोहण अर्द्धशताब्दी के पावन प्रसंग पर श्रद्धा सुमन समर्पित करते हुये यही शुभ कामना करते हैं कि गुरुदेव हमें ऐसी शक्ति प्रदान करना कि हमें भी आपकी बगिया का सिंचन करते हुये हमारी आत्मा का कल्याण कर सकें।
- दीप बुझा प्रकाश अर्पित कर,
फूल मुरझाया सुवास प्रदान कर। टूटे तार वीणा के स्वर बहाकर, गुरुदेव चले दुनिया में नूर फैलाकर।
चमन में आज बहार क्यों नहीं, मानव मन में आज आनंद क्यों नहीं। इसका कारण समझ में यूं आता है कि, आज इस धरती पर गुरु वल्लभ नहीं।"
इसी शुभेच्छा के साथ
जय गुरु वल्लभ
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विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका
विजय वल्लभ
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