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परम पूज्य गुरुदेवी का गुणगान
पुष्प जैन पाटनी
गुरुदेव तुम्हारी जय होवे, गुरुदेव तुम्हारी जय होवे 1. विजयानंद वल्लभ जय होवे, समुद्र गुरु इन्द्र जय होवे
पट्टधर रत्नाकर जय होवे, गुरुदेव तुम्हारी जय होवे
गुरुदेव तुम्हारी जय होवे, गुरुदेव तुम्हारी जय होवे 2. प्रभु वीर शासन पाया तूं, दुर्लभ संयम अपनाया तूं
तेरे संयम की जय होवे, गुरुदेव तुम्हारी जय होवे
गुरुदेव तुम्हारी जय होवे, गुरुदेव तुम्हारी जय होवे 3. पाँचों इन्द्रियों का स्वामी तूं, नव काम गुप्ति का वामी तूं
कषाय चउ जीतने वाले, गुरुदेव तुम्हारी जय होवे ।
गुरुदेव तुम्हारी जय होवे, गुरुदेव तुम्हारी जय होवे 4. पंच महाव्रतों को धारे , पंच विर्याचार को पाले लूँ
अठ प्रवचन माता के रखवाले, गुरुदेव तुम्हारी जय होवे
गुरुदेव तुम्हारी जय होवे, गुरुदेव तुम्हारी जय होवे 5. परमानंद पूर्ण ज्ञानी , छत्तीस गुणों का स्वामी तूं
संसार मार्ग का वामी तूं, गुरुदेव तुम्हारी जय होवे,
गुरुदेव तुम्हारी जय होवे, गुरुदेव तुम्हारी जय होवे 6. सर्वविरति योग को पाया है, तूं मोक्ष पथ अपनाया है
तेरे मोक्ष मार्ग की जय होवे, गुरुदेव तुम्हारी जय होवे
गुरुदेव तुम्हारी जय होवे, गुरुदेव तुम्हारी जय होवे 7. तेरे ज्ञान की खुशबू छाई है, 'पुष्प' ने भी सुगन्ध पायी है,
इस सम्यक्ज्ञान की जय होवे, गुरुदेव तुम्हारी जय होवे, गुरुदेव तुम्हारी जय होवे, गुरुदेव तुम्हारी जय होवे
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विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका
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