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________________ भोपाल में विजय वल्लभ रथयात्रा का अनूठा स्वागत दिनांक 08.03.2004 सायं पांच बजे विजय वल्लभ रथयात्रा भोपाल पहुँची। इस से पूर्व भोपाल से 8 कि.मी. पूर्व श्री भक्तामर स्तोत्र के रचयिता आचार्य श्री मानतुंग सूरि जी की साधना स्थली श्री महावीर गिरि पर भोपाल में रहने वाले एक नारोवाल जैन परिवार ने रथ का दर्शन-वंदन करते हुए रथ संचालकों की सेवा सुश्रुषा की। श्रीमन्दिर जी में दर्शन-वंदन पश्चात् रथयात्रा भोपाल पहुँची। श्री भेल पिपलानी संघ ने गुरुदेव के रथ का भावभीना स्वागत किया। बैंड बाजे के साथ शोभा यात्रा निकाली गई, पिपलानी के महावीर मन्दिर में शोभायात्रा के समापन के पश्चात् उपाश्रय में धर्मसभा का आयोजन किया गया। रात्रि में भव्य भावना कीर्तन का आयोजन रखा गया। आरती के पश्चात् प्रभावना भी वितरित की गई। 106 हैदराबाद में रथयात्रा का अभिनन्दन दिनांक 11.03.2004 प्रातः 9 बजे सभी श्रीसंघों के अध्यक्ष तथा मंत्री महोदय द्वारा रथयात्रा का गर्मजोशी से स्वागत किया गया गुरु प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया यहाँ पर मूर्तिपूजक समुदाय के सादड़ी एवम् बीकानेर से सम्बन्धित सात परिवार हैं, वह सभी गुरुवन्दन के लिए आए हुए थे और गुरुदेव के अप्रतिम सौन्दर्य को निहारते अपने को धन्य मान रहे थे और गुरुदेव की याद में गा रहे थे “नैन ये नीर बहाये गुरु वल्लभ तेरी याद में आज, दे दो, दे दो दर्श गुरुवर आज तुम हमें । दर्श बिना तुझ तरफ रहे हैं, जैसे जल बिन मीन गुरु, तुझ बिन जाएं आज कहां, हमें बतला दो ऐ प्यारे गुरु । अपना पता बता दो गुरुवर आज तुम हमें ।” विजयवाड़ा में विजय वल्लभ रथयात्रा का अभूतपूर्व स्वागत दिनांक 12.03.2004 प्रातः 9 बजे विजयवाड़ा में 30 व्यक्तियों के बैंड (जो कि विजयवाड़ा का सबसे अच्छा बैंड था) के साथ Canal Road रथनम सैंटर से रथयात्रा का शुभारम्भ हुआ। पूज्य साध्वी सुव्रता श्री जी आदि ठाणा 3 रथ के अभिनंदन के लिए वहां पहुंची हुई थीं। विजयवाड़ा श्रीसंघ के लगभग सभी सदस्य, युवक मंडल अपनी Uniform Dress Code में रथयात्रा के स्वागत में खड़े थे। बहिनें मंगल कलश के साथ थी, युवती मंडल भी अपनी Dress Code में था। मंगल कलश वाली बहनों ने रथ की प्रदक्षिणा दी। पूज्या साध्वी जी महाराज ने गुरुवन्दन किया उस के पश्चात् शोभा यात्रा शुरू हुई। श्री संभवनाथ मूर्तिपूजक संघ के विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका For Private & Personal Use Only
SR No.012061
Book TitleVijay Vallabh Sansmaran Sankalan Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpadanta Jain, Others
PublisherAkhil Bharatiya Vijay Vallabh Swargarohan Arddhashatabdi Mahotsava Samiti
Publication Year2004
Total Pages268
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size51 MB
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