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'वल्लभ नगरी' बीकानेर में ढोल की थाप पर गुलाल और गुलाब बिखरे
दिनांक 25.02.2004 विजय वल्लभ रथयात्रा प्रातः 4 बजे बीकानेर पहुंची। श्री गौड़ी पार्श्वनाथ मन्दिर के प्रांगण से बैंड-बाजों के साथ रथयात्रा का 'वल्लभ नगरी' बीकानेर में शुभारम्भ हुआ। हाथी घोड़े सहित पूरा बीकानेर श्रीसंघ, कलिकाल कल्पतरु गुरु वल्लभ जिनका बीकानेर श्रीसंघ पर विशेष रूप से वरदहस्त रहा था, अपने प्यारे वल्लभ की छवि निहारने, धूमधाम से शोभा यात्रा निकालने पहुँचा हुआ था। श्राविका संघ की महिलाएं अपने भाव पूर्ण भक्ति गीत गा रही थीं, युवक ढोल की थाप पर गुलाल और गुलाब बिखेर रहे थे लगभग दो किलोमीटर रास्ता, गली मौहल्लों से गुजरते हुए रथयात्रा कोचरों का चौंक पर जाकर समाप्त हुई सायं 8 बजे कोचरों का चौंक में भजन संध्या 'एक शाम गुरु वल्लभ के नाम' आयोजित की गई। वल्लभ भक्ति का खूब रंग जमा। कोचर मण्डल, वीर मण्डल तथा अन्य भाई-बहनों ने गुरु भक्ति का आनन्द प्राप्त किया, कोई भी इस सुनहरी-ऐतिहासिक अवसर को खोना नहीं चाहता था। कोचर मण्डल के श्री मगन जी कोचर ने गुरुभक्ति का अपूर्व रंग जमा दिया। कलकत्ता से आए हुए भाई सुनील जी भंडावत ने भी भक्तिरस से भरपूर भजन की स्वर लहरियाँ छोड़ दी
"डंको वल्लभ नाम रो दुनियाँ में देखो बाजे रे। घर-घर, गली-गली में जय वल्लभ री गाजे रे। वल्लभ उपकारी हां रे वल्लभ उपकारी।
दुखियों रो थो वो हितकारी। सूतोड़ा नर-नारियों ने वल्लभ आय जगाया रे। जीवन खुद से बालने ऐ दीप जलाया रे।"
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विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका
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