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________________ । स्व: मोहनलाल बाठिया स्मृति ग्रन्थ । (५) अनवस्थित और (६) अवस्थित । पहले चार भेद कर्मग्रंथ के अनुसार हैं। अनवस्थित अर्थात उत्पन्न हो, बढ़े, घटे, उत्पन्न हुआ चला भी जाय। अवस्थित अर्थात जितना अवधिज्ञान हो उतना केवलज्ञान पर्यन्त कायम रहे। अनवस्थित में प्रतिपाति का समावेश हो जाता है। और अवस्थित में अप्रतिपाति का समावेश हो जाता है। अनवस्थित के लिए वायु से पानी मे उठती तरंगों की घट-बढ़ का उदाहरण दिया जाता है। और अवस्थित के लिए शरीर पर हुए और एक सरीखे रहे मसे का उदाहरण दिया जाता है। (१) अवधिज्ञान द्रव्य से जघन्यता मे अनन्त रूपी द्रव्य देखता और जानता है एवं उत्कृष्टता मे सर्व रूपी द्रव्यों को जान सकता और देख सकता है। (२) क्षेत्र की दृष्टि से अवधिज्ञानी जघन्य अंगल के असंख्यातवें भाग तक देख व जानता है तथा उत्कृष्टता से अलोक में लोक जैसे असंख्यता खंडक देखता व जानता है। (३) काल की दृष्टि से अवधिज्ञानी जघन्य से आवलिका का असंख्यातवें भाग देखता व जानता है। उत्कृष्ट असंख्य उत्सर्पिणी व अचसर्पिणी तक, अतीतकाल और अनागत काल देखता व जानता है। (४) भाव की दृष्टि से अवधि ज्ञानी जघन्य से अनन्ता भाव देखता व जानता है तथा उत्कृष्टतः भी अनंता भाव देखता व जानता है। (सर्व भाव का अनंत वा भाग भी देखता व जानता है)। इस प्रकार द्रव्य, क्षेत्र, काल और भव की अपेक्षा से जघन्य से उत्कृष्ट पर्यन्त जितना जितना देखता जानता है वह प्रत्येक का भिन्न भिन्न एक एक भेद गिनें तो , अवधि) ज्ञान के असंख्य भेद है, ऐसा कहा जाता है। इसी लिए आवश्यक नियुक्तिमें कहा है कि - असंख्या इयाओ खलु ओहि न्नाणस्य सव्व पयडीओ। काई भव पच्चइया खओव सभियाओ काओ अवि ।। अवधिज्ञान की सभी प्रकृति या (सर्व भेद) संख्यातीत अर्थात असंख्य है । कितने ही भेद प्रत्ययिक है और कितने ही क्षयोपशम प्रत्ययिक है। __ यों भव प्रत्ययिक और गुणप्रत्ययिक दोनों मुख्य प्रकारों के अवान्तर प्रकारो का विचार करते ठेठ असंख्याता भेद या प्रकारों तक पहुंचा जा सकता है। यदि अवधिज्ञान के इस तरह असंख्याते प्रकार हो तो इन सब का वर्णन किस Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012059
Book TitleMohanlal Banthiya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKewalchand Nahta, Satyaranjan Banerjee
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1998
Total Pages410
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size19 MB
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