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दर्शन-दिग्दर्शन
के दूसरे खण्ड मे क्या हो रहा है, दरवाजे पर कौन आया पह प्रत्यक्ष देख सकता है । टी. वी. केमेरा की मदद से पन्द्रह-पचीस तल्ले के बड़े स्टोर मे उसका संचालक प्रत्येक विभाग मे क्या हो रहा है देख सकता है। स्कूल या कोलेज के आचार्य प्रत्येक कक्षा मे शिक्षक क्या पढाता है और विद्यार्थी क्या करते हैं वह देख सकता है। मनुष्य अपने खण्ड में बैठे बैठे टी. वी. सेट पर हजारो मील दूर खेलाजाता मैच क्रिकेट तत्क्षण नजरों से देख सकता है। एक देश में खेली जाती मैच नं जचे तो बटान दबाकर दूसरे देश की अन्य मैच आती हो तो वह देख सकता है। वीडीयो की सहायता से जब चाहे रेकर्ड किए पुराने प्रसंग को देख सकता है। टी. वी. और वीडियो की जितनी सुविधा बढावे उसी के अनुसार क्षेत्र और काल का अवकाश भी बढ़ता है।
यह सब होने पर भी वैज्ञानिक साधनों पर अवलंवित टी. वी., टी. वी. है और अवधिज्ञान, अवधिज्ञान है। मन और इन्द्रियो की मदद से टी. वी. के दृश्य देखे जा सकते है। अवधिज्ञान मन और इन्द्रियों की सहायता के बिना, रूपी द्रव्यों को आत्म भाव से साक्षात देख सकता है। अंधामनुष्य टी. वी. दृश्य नहीं देख सकता किन्तु मनुष्य इन्द्रियों की सहायता के विना अवधिज्ञान द्वारा उपयोग देकर अपने ज्ञानयेत्त्वर विषय को देख सकता है। टी. वी. और वीडियों द्वारा वर्तमान में बनती और भुतकाल की केवल रेकर्ड की हुई घटना देख सकते है, भविष्यकाल की अनागत घटनाएं नहीं देखी जा सकती अवधिज्ञान द्वारा अनागत काल के द्रव्यों पदार्थों को भी देखा जा सकता है। टी. वी. के दृष्य परदे पर आते हैं अवधिज्ञान द्वारा साक्षात देख सकते है। इस प्रकार टी.वी. अवधिज्ञान का किंचित दृश्य हो सकता है किन्तु अवधिज्ञान का स्थान वह कभी भी नहीं ले सकता।
___ अवधिज्ञान जन्म से और गुणसे उभय प्रकार से प्राप्त होता है। जो जन्म से प्राप्त होता है वह भवप्रत्ययिक अवधिज्ञान कहलाता है । गुणसे प्रगट होने वाला अवधिज्ञान गुण प्रत्ययिक अवधिज्ञान कहलाता है।
(१) भव प्रत्ययिक अवधिज्ञान-तत्त्वार्थ सूत्र में कहा है - भवप्रत्यो यो नरक देवानो देवलोक से देवताऔ को और नरक से नारकी जीवों को जन्म से अवधिज्ञान होता है। प्रत्येकगति का कोई वैशिष्टय होता है। मनुष्य गति श्रेष्ठ होने पर भी सारी शक्तियों मनुष्य की जन्म से प्राप्त हो जाय ऐसी बात नहीं है। पक्षीरूप मे जीव को जन्म मिलता है तो उसके लिए उड़ जाना सहज है, मनुष्य तो उड़ नहीं सकता कुत्ते की घ्राण-तूंधने की शक्ति, उल्लु के अंधेरे में देखने की शक्ति - ये योनि के कारण है, योनि प्रत्यय है। उसी प्रकार
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