SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 264
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दर्शन-दिग्दर्शन 'पाणा पाणे किलेसति' - यह एक तथ्य है कि प्राणी, प्राणियों को क्लेश पहुँचातेहै, लेकिन महावीर यहाँ जिस बात की ओर हमें विशेषकर संकेत करते है वह यह है कि प्राणियों का एक - दूसरे के प्रति ऐसा व्यवहार संसार में महाभय व्याप्त करता हैं उनकी चिंता है कि आतंक से आखिर प्राणियों को किस प्रकार छुटकारा प्राप्त कराया जाए। जहां तक मनुष्य का संबंध है, विचारशील प्राणी होने के नाते, उससे तो यह अपेक्षा की ही जा सकती है कि वह कम से कम इस आतंक का कारण न बने। लेकिन ऐसा वस्तुतः है नहीं। बल्कि इस महाभय को प्रश्रय देने में मनुष्य का योगदान शायद सबसे अधिक ही हो। महावीर संकेत करते हैं कि तनिक आतुर व्यक्तियों को देखो तो। वे कहीं भी क्यों न हों, हर जगह प्राणियों को परिताप देने से बाज नहीं आते - तत्थ-तत्थ पुढो पास, आतुरा परिताति। (८/१५) ये आतुर लोग आखिर हैं कौन ? सामान्यतः हम सभी तो आतुर हैं। वह बीमार मानसिकता जो व्यक्ति को अधीर बनाती है वस्तुतः उसकी देहासक्ति है। हम आतुर मनुष्य कहें, आसक्त कहें-बात एक ही है। महावीर कहते हैं, इसलिए आसक्ति को देखो। इसका स्वरूप ही ऐसा है कि वह हमारे मार्ग में सदैव रोड़ा बनती है, और फिर भी हम उसकी ओर खिंचे ही चले जाते हैं - तम्हा संगं ति पासह। गंथेहिं गढिया णरा, विसण्णा काम विप्पिया। (२५२/१०८-१०६) महावीर हमें यह देखने के लिए निर्देश देते हैं कि वे लोग जो देहासक्त हैं, पूरी तरह से पराभूत हैं। ऐसे लोग बार - बार दुःख को प्राप्त होते हैं। वस्तुतः वे बताते हैं, इस जगत में जितने लोग भी हिंसा - जीवी हैं, इसी कारण से हिंसा जीवी हैं। देह और दैहिक विषयों के प्रति व्यक्ति का लगाव ही हिंसा का कारण है - पासह एगे सेवेसु गिद्धे परिणिज्जमाणे। एत्थ फासे पुणो पुणो। आवंती केआवंती लोयंसि आरंभजीवी, सएसु चेव आरंभजीवी। (१७८/१३-१५) Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012059
Book TitleMohanlal Banthiya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKewalchand Nahta, Satyaranjan Banerjee
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1998
Total Pages410
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy