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स्वः मोहनलाल बाठिया स्मृति ग्रन्थ ।
आशीर्वचन
जैन आगम तथा आगमेतंर साहित्य पर आज अनेक विद्वान शोध कर रहे हैं। उनके सामने सबसे बड़ी कठिनाई है अपने विषय से सम्बन्धित साहित्यिक सूचनाओं की प्रामाणिक उपलब्धि की। स्वर्गीय श्री मोहनलालजी बांठिया ने इस कार्य की गरिमा को समझा और निष्ठा के साथ काम शुरू कर दिया। लेश्या कोश, क्रिया कोश आदि उनकी श्रम निष्ठा और कार्यशीलता के जीवन्त साक्ष्य हैं उनका लक्ष्य बहुत ऊंचा था, पर वे उसे पूरा किये विना ही इस धरती से उठ गये। श्रीचन्द चोरड़िया ने उनके साथ रहकर काफी अनुभव प्राप्त किये हैं। उनके अधूरे काम को पूरा करने के लिये वह कृत संकल्प हैं। वर्धमान जीवन-कोष उसी श्रृंखला की एक कड़ी है। इसमें भगवान महावीर के जीवन से सम्बन्धित काफी सामग्री एकत्रित है। परिपूर्णता की दृष्टि से अभी कुछ अपेक्षाएं और हैं, फिर भी इस विषय में शोध करने वालों के लिए यह ग्रन्थ बहुत उपयोगी बन सकेगा - ऐसा विश्वास है।
- आचार्य तुलसी
२३ मार्च, १६८० तारानगर
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