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दर्शन दिग्दर्शन
बिना किसी प्रतिपादन की कामना के प्रकृति ने वह सबकुछ प्रदान किया, जो सुखद सृष्टि के स्वरूप व शालीन सभ्यता के लिए लाभकारी था। प्राणवायु के पुरस्कर्ता पेड़-पौधे-वनस्पतियां, पहाड़-झरने, जीवन दायिनी नदियां सबकुछ प्रकृति की देन है । प्रकृति ने पर्यावरण संतुलन हेतु विभिन्न जीव-जन्तुओ को जन्म दे उनमें एक खास प्रकार का गुण पैदा किया, आज भी अधिकांश जीव-जन्तु तदनुरूप आचरण कर रहे हैं, अलबत्ता मानव भटक गया है। विश्व में सर्वाधिक चेतन प्राणी के रूप में ख्याति प्राप्त मानव अपनी प्रबल आकांक्षाओं की पूर्ति हेतु वनसंपदा को बड़ी बेरहमी से विनष्ट कर रहा है, आर्थिक समृद्धि की होड़ में प्राकृतिक साधनों का अंधाधुंध दोहन कर रहा है। कूड़ा कचरा, कल कारखानों का रसायन युक्त विषैला जल प्रवाहित कर निर्मल नदियों को प्रदूषित कर रहा है, जबकि उपेक्षित असहाय समझे जाने वाले जीव जंतु, कीड़े मकौड़े पर्यावरण-परिष्कार व प्रदूषण परिहार की दिशा में सार्थक भूमिका निभा रहे हैं। आश्चर्य है - 'वसुधैव कुटूंबकम' - की सरगम. सुनाने वाला भारतीय जनमानस, पता नहीं क्यों क्षुद्र भाव के पक्षाघात से पीड़ित हो गया है ; सब कुछ एकबारगी ही हासिल कर लेने की भस्मासुरी प्रवृत्ति का शिकार व्यक्ति प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ देता है। बिगड़े संतुलन का ही नाम है - पर्यावरण प्रदूषण।
पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण पर यदि काबू नहीं पाया जा सकेगा तो वैज्ञानिकों के निष्कर्षानुसार एक समय आएगा जब पृथ्वी पर से जीवन का नामोनिशान मिट जाएगा। पृथ्वी बेहद गर्म हो जाएगी, आग उगलते सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी रश्मियां हर चीज को बींध कर उनके स्वरूप व प्रकृति को विकृत कर डालेगी। पराबैंगनी रश्मियों के दुष्प्रभावों से सभ्यता की रक्षा प्रकृति प्रदत्त औजोन की छतरी करती आ रही है परन्तु दैत्याकार में पसर रहे प्रदूषण ने इसमें सेंध लगा, छेद करना शुरू कर दिया है। यदि इसी प्रकार प्रदूषण-दैत्य का पंख पसरता रहा तो एक दिन ओजोन की छतरी तार-तार हो जाएगी, उस विषम परिस्थिति का जिम्मेवार है - अनेक चित्त मानव, इच्छा-आकांक्षा का बहुलता से मानव द्वारा किया गया औद्योगीकरण, नगरी एवं आधुनीकरण । यद्यपि सन १६७२ से लगातार विश्व भर में ५ जून को पर्यावरण दिवस मनाने की निर्बाध परंपरा चल रही है इस दिन पर्यावरण प्रदूषण के खतरों, वैज्ञानिक विश्लेषणों तथा प्रदूषण रोकने के उपायों से संबंधित भाषण, समाचार, प्रकाशन-प्रसारण जरूर व्यापक पैमाने पर हो जाता
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