________________
दर्शन दिग्दर्शन
जागना जरूरी है अपने जीवन के प्रति । बिना जागे विवेक जागे जीवन की उपयोगिता सिद्ध नहीं होगी। जागरण बदलाव का दूसरा नाम है। दीया जब तक जागता है अन्धेरा पास नहीं फटकता। जागृत जीवन भी बुराइयों से नहीं घिरता। सपनों के भ्रमजाल में नहीं भटकता। प्रमाद, मोह और अज्ञान में डूबकर अपना अहित नहीं करता।
जागने का मतलब है अपने घर में लौट आना। ऐसे घर में जहां सुख हो, शांति हो, समाधि हो। जागृत व्यक्ति प्रतिपल सोचता है - मैंने क्या किया? मेरे लिए अब क्या करणीय शेष है ? ऐसा कौन सा कार्य है जिसे मैं नहीं कर सकता ? इन प्रश्नों के समाधान की प्यास के उभरने का नाम ही जागना है। जागने के बाद अपने चिन्तन को, विचारों को, संभाषण को और कर्म से जीता विधायक जीवन शैली सीखें। प्रतिदिन एक विचारडायरी डालें जिसके मुख्य बिन्दु हो सकते हैं -
। प्रतिपल मन को रचनात्मक चिन्तन से जोड़े रखें। । आज का काम आज ही सम्पन्न करें। । कल जो शेष रह गया अथवा कल जो करना है उसकी चिन्ता न करें। । भोजन करते समय मन तनावमुक्त रखें। । उलझनों को लम्बायें नहीं, शीघ्र समाधान खोजें। । हर समय मेरुदण्ड सीधा रखें। । प्रतिदिन समय मौन, ध्यान एवं स्वाध्याय में बिताएं। । किसी को अप्रिय लगे ऐसा कोई कार्य न करें। । रात्रि में में सोते वक्त आत्मावलोकन अवश्य करें।
भगवान से जब पूछा गया कि सोना अच्छा या जागना ? तब भगवान ने उत्तर दिया - ऐसे व्यक्तियों का जागना अच्छा है जो जागकर धर्म करते हैं पर ऐसे व्यक्तियों का सोया रहना ही अच्छा है जो जागकर अठारह पापों का सेवन करते रहते हैं।
__ हम जागें अपने अज्ञान से, प्रमाद से, अठारह पाप की हिंसा से। अपने लक्ष्य के प्रति सावधान बनें। करणीय अकरणीय के प्रति विवेक जगाएं। जो जागता है वह प्रकाश के सिवाय कुछ नहीं देखता और प्रकाश जीवन का दूसरा नाम है।
__इसलिए कहा गया - समय को जानो, क्योंकि जो समय को जानता है यानि आत्मा को जानता है वह सबको जान लेता है। 'जे एगं जाणइ ते सव्वं जाणइ' बिना प्रतीक्षा किये समय को जानने की यात्रा शुरू करें। यही क्षण जागने का है।
Jain Education International 2010_03
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org