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। स्व: मोहनलाल बाठिया स्मृति ग्रन्थ
जैन दर्शन जैन संस्कृति एवं जैन वांग्मय के प्रचार प्रसार में जीवन पर्यन्त अपने आपको सक्रिय रखा। कलकत्ता की कई सार्वजनिक, सामाजिक, शैक्षणिक एवं रचनात्मक संस्थाओं के साथ जुड़कर उनके सम्पूर्ण विकास में जीवन पर्यन्त भागीदार रहें।
अखिल भारतीय तेरापंथी समाज की कलकत्ता स्थित प्रतिनिधि संस्था श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के विभिन्न पदों पर रहकर अपनी बहुमुखी प्रतिभा का परिचय दिया। वर्षो वर्षो तक संस्थान के प्रधानमंत्री पद पर रहकर नये-नये आयामों को सामाजिक परिवेश में प्रतिष्ठापित किया। संस्थान के प्रमुख पत्र जैन भारती के वर्षों तक सम्पादक रहे
और अपनी कुशाग्रता के साथ पत्रिका का उच्चतम स्तर सामाजिक परिवेश में प्रतिपादित किया।
__जैन आगमों के गूढ़ विषयों पर शोध कार्य आपके जीवन का संकल्पित लक्ष्य रहा। जैन दर्शन समिति के माध्यम से तत्सम्बन्धी कई पुस्तकें आपके द्वारा प्रकाशित हुई।
सफेद कुर्ता इकलंगी धोती, सिर पर सफेदी टोपी, आंखों पर चश्मा व पैरों में चप्पल पहने वह सहज व्यक्तित्व सबका अपना बना। २ वर्ष तक मुझे भी कलकत्ता प्रवास का अवसर प्राप्त हुआ और श्री बांठियाजी के मार्गदर्शन में रहने का सौभाग्य मिला। आप महासभा के प्रधानमंत्री थे एवं मैं महासभा के आयोजन विभाग का संयोजक । आपके सान्निध्य में मैंने बहुत कुछ सीखने का प्रयास किया।
इस अलमस्त कर्मयोंगी ने अपने जीवन के ६८ बसन्त, जन सेवा लोक सेवा, समाज सेवा एवं शासन सेवा में समर्पित किये जिन्होंने स्पष्टता को कभी छिपाया नहीं और स्वार्थवश सिद्धान्तों के साथ कभी समझौता नहीं किया। जिनका जीवन मूल्यों के प्रति सदैव समर्पण रहा। इस अनुकरणीय व्यक्तित्व के जीवन दर्शन से हमें बहुत कुछ सीखना है प्रेरणा लेनी है।
__ श्री मोहनलाल बांठिया - समाज का एक जाना पहचाना नाम । जो आज हमारे मध्य नहीं है। मगर उनकी कर्मठता, कर्मशीलता, सक्रियता, समरसता, समर्पणता सदा सदा स्मृति में रहेगी। इसी भावना के साथ।
एक लोकप्रिय व्यक्तित्व को सादर-सादर श्रद्धांजलि समर्पित।
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