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श्री धनराजजी पारसमलजी नाहर जबलपुर।
कलकत्ता ३८.७र्छ
बंधुवर
क्षमापना के पावन पर्व पर आपके अप्रतिम स्नेहभाव का स्मरण करता हूँ। विगत वर्ष में जान-अनजान में एवं प्रमादवश हुई त्रुटियों के लिए आंतरिकता से क्षमा याचना करता हूँ। पूर्ण आरंभ है आपका उदार हृदय क्षमा प्रदान करेगा।
ल्यल वॉকियी
जबलपुर के सभी बभ्रुओं को मेरी क्षमत क्षामना कहिएm/
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भवदीय मोधील
स्व. श्री मोहनलाल बांठिया की हस्तलिपि
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