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________________ ८०] જ્ઞાનાંજલિ आचार्य श्री हरिभद्रसूरिने अपनी शिष्यहितावृत्तिमें इस चूर्णिका खास तौरसे निर्देश नहीं किया है। सिर्फ रइवक्का सं० रतिवाक्या नामक दशवैकालिकसूत्रको प्रथम चूलिकाकी व्याख्यामें [पत्र २७३-२] " अन्ये तु व्याचक्षते" ऐसा निर्देश करके अगस्त्यसिंहीया चूर्णिका मतान्तर दिया है। इसके सिवा कहीं पर भी इस चूर्णिके नामका उल्लेख नहीं किया है। इस अगस्त्यसिंहीया चूर्णिमें तत्कालवर्ती संख्याबन्ध वाचनान्तर-पाठभेद, अर्थभेद एवं सूत्रपाठोकी कमी-बेशीके काफ़ी निर्देश हैं, जो अतिमहत्त्वके हैं। यहाँ पर ध्यान देने जैसी एक बात यह है कि दोनों चूर्णिकारोंने अपनी चूर्णीमें दशवैकालिकसूत्रकी एक प्राचीन चूर्णी या वृत्तिका समान रूपसे उल्लेख रइवक्काचूलिकाकी चूर्णीमें किया है, जो इस प्रकार है" एत्थ इमातो वृत्तिगतातो पदुद्देसमेत्तगाधाओ। जहा दुक्खं च दुस्समाए जीविउं जे १ लहुसगा पुणो कामा २। सातिबहुला मणुस्सा ३ अचिरद्वाणं चिमं दुक्खं ४ ॥ १॥ ओमजणम्मि य खिंसा ५ बंतं च पुणो निसेवियं भवति ६ । अहरोवसंपया वि य ७ दुलभो धम्मो गिहे गिहिणो ८ ॥२॥ निवयंति परिकिलेसा ९ बंधो ११ सावज्जजोग गिहिवासो १३ । एते तिण्णि वि दोसा न होति अणगारवासम्मि १०-१२-१४ ॥ ३॥ साधारणा य भोगा १५ पत्तेयं पुण्ण-पावफलमेव १६ । जीयमवि माणवाणं कुसग्गजलचंचलमणिच्चं १७ ॥ ४ ॥ णत्थि य अवेदयित्ता मोक्खो कम्मस्स निच्छओ एसो १८ । पदमट्ठारसमेतं वीरवयणसासणे भणितं ॥ ५॥" __ अगस्त्यसिंहीया चूर्णी दूसरी मुद्रित चूर्नामें [पत्र ३५८ ] " एत्थ इमाओ वृत्तिगाधाओ। उक्तं च" ऐसा लिखकर ऊपर दी हुई गाथायें उद्धृत कर दी हैं। इन उल्लेखोंसे यह निर्विवाद है कि-दशवैकालिकसूत्रके ऊपर इन दो चूर्णियोंसे पूर्ववर्ती एक प्राचीन चूर्णी भी थी, जिसका दोनों चूर्णिकारोंने वृत्ति नामसे उल्लेख किया है। चूर्णीको ‘वृत्ति' कहनेका प्रघात प्राचीन है। इसमें यह भी कहा जा सकता है कि-आगमों के ऊपर पद्य और गद्यमें व्याख्याग्रन्थ लिखनेकी प्रणालि अधिक पुराणी है । और इससे हिमवंतस्थविरावलीमें उल्लिखित निम्न उल्लेख सत्यके समीप पहुँचता है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012058
Book TitleGyananjali Punyavijayji Abhivadan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnikvijay Gani
PublisherSagar Gaccha Jain Upashray Vadodara
Publication Year1969
Total Pages610
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size15 MB
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