SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 478
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ १५ निर्वाण महोत्सव वर्ष में महावीर के अहिंसा और सह-अस्तित्व के सम्यक आचरण एवं विभिन्न लोक हितकारी कार्यों के सम्पादन द्वारा उस महामानव के प्रति अपनी श्रद्धा के सुमन अर्पित करेगी। मैं इस समारोह की सफलता के लिये अपनी हार्दिक शुभ कामनायें भेजता हूं।" जिलों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर भगवान महावीर के २५००में निर्वाण महोत्सव वर्ष का प्रारंभ प्रदेश भर में बड़े उल्लास एवं उत्साह के साथ किया गया। प्रायः प्रत्येक स्थान में तीन से सात दिन के सुरुचिपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किए गए। विशाल एवं भव्य शोभायात्राएं निकाली गई तथा सार्वजनिक समाएँ, धर्म सभाएँ, सर्वधर्म सम्मेलन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए और भगवान महावीर की शिक्षाओं से सम्बन्धित साहित्य का वितरण किया गया। लखनऊ में तथा अन्य कई स्थानों पर ढाई हजार भूखों को भोजन कराया गया। कई समाचार पत्रों एवं साप्ताहिक, पाक्षिक तथा मासिक पत्रों ने इस अवसर पर अपने विशेषांक निकाले । शिक्षा संस्थाओं में भगवान महावीर की जीवनी एवं शिक्षाओं पर निबन्ध प्रतियोगिताएँ एवं वाद विवाद प्रतियोगिताएँ भी आयोजित हुई। दिनांक १३ नवम्बर, १९७४ को भारत सरकार के डाक टिकट विभाग ने इस पुण्य अवसर पर एक विशेष डाक टिकट का प्रसारण किया जिसका विमोचन लखनऊ में श्री लक्ष्मी रमण आचार्य की अध्यक्षता में आयोजित एक सार्वजनिक सभा में माननीय की जगन्नाथ पहाड़िया, उप मन्त्री, संचार विभाग, भारत सरकार ने किया। लखनऊ में ही दिनांक १४ नवम्बर, १९७४ को माननीय डा० रामजी लाल सहायक, उच्च शिक्षा मन्त्री, उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता में एक विशाल अहिंसा सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें जैन धर्म, बौद्ध धर्म, इस्लाम धर्म, ईसाई धर्म तथा हिन्दू धर्म के विद्वानों ने अपने धर्मों में अहिंसा के स्वरूप का प्ररूपण किया। ये दोनों कार्यक्रम जिला महावीर निर्वाण समिति लखनऊ ने राज्य समित के सहयोग से सम्पादित किए। दिनांक २४ अप्रैल १९७५ को भगवान महावीर की जयन्ती भी प्रदेश भर में बड़े उल्लास एवं उत्साह के साथ मनाई गई। इस अवसर पर प्रायः प्रत्येक स्थान में तीन दिन का कार्यक्रम रखा गया जिसमें विशाल शोभा यात्राएं निकाली गई तथा सानजनिक सभाएं, कवि सम्मेलन तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित ि नौचन्दी के मेले में अप्रैल से "अहिंसा प्रचार केन्द्र" के नाम से एक शाकाहार प्रदर्शनी, तीर्थ क्षेत्र दर्शन व पंचशील प्रदर्शनी लगाई गई। लखनऊ में सर्ग सेवा संघ वाराणसी द्वारा प्रकाशित ग्रंथ "समण सुत्तं" का विमोचन माननीय श्री वासुदेव सिंह, अध्यक्ष विधान सभा उत्तर प्रदेश, द्वारा किया गया। इस ग्रंथ का संकलन संत विनोबा जी की प्रेरणा पर जैन धर्म के विभिन्न सम्प्रदायों के आचार्यों एवं विद्वानों की १९७४ में दिल्ली में आयोजित एक समिति में किया गयां था तथा इसमें जैन धर्म के सभी सम्प्रदायों के मान्य आगम ग्रंथों से सूत्रों का विषयवार संकलन करके जैन धर्म का एक सर्वमान्य सार प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। दिनांक २० मई १९७५ को भगवान महावीर का केवलज्ञान-प्राप्ति दिवस मनाया गया । इस अवसर पर डा. ज्योति प्रसाद जैन ने लखनऊ में एक बृहत् जैन साहित्य एवं चित्र प्रदर्शनी तथा एक ज्ञान गोष्ठी आयोजित की जिसकी अध्यक्षता डा० आनन्द झा ने की, प्रदर्शनी का उद्घाटन डा० रामकुमार दीक्षित ने किया। अन्य स्थानों पर भी साहित्य प्रदर्शनी आयोजित की गई एवं जैन संस्कृति के विद्वानों का सम्मान किया गया । दीपावली १९७५ के अवसर पर निर्वाण महोत्सव वर्ष के समापन के उपलक्ष्य में प्रदेश भर में एक सप्ताह के कार्यक्रम बड़े उत्साह एवं उल्लास के साथ सम्पन्न किए गए। स्थान-स्थान पर भगवान की पूजा उपासना एवं निर्वाण लडड चढ़ाने तथा दीपमालिका का आयोजन करने के अतिरिक्त शोभायात्राएँ निकाली गई, सार्वजनिक सभाओं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012057
Book TitleBhagavana Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherMahavir Nirvan Samiti Lakhnou
Publication Year1975
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy