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[ १२७ कौशाम्बी
आचार्य पदलिप्त सूरि ने अपनी "तरंगवती" कथा में कौशाम्बी के प्राकृतिक प्रकरणों का एवं सांस्कृतिक सुषमाओं का जो दिग्दर्शन किया है वह खूब ही हृदयग्राही है। धर्म और वैभव से समृद्ध इस नगरी में जो श्रमण संस्कृति का अलौकिक वर्णन चित्रित किया है वह कथनातीत है। प्रागैतिहासिक काल में कौशाम्बी वत्स देश की राजधानी मानी जाती थी परन्तु समयानुसार सीमा विभाजन के कारण अधुना उत्तर प्रदेश में मानी जाती है। कौशाम्बी इलाहाबाद से दक्षिण और पश्चिम में इकत्तीस मील की दूरी पर कोसम नाम से बसी हुई है। कौशाम्बी शाखा की उत्पत्ति इसी स्थान से हुई । श्रमण भगवान, महावीर के छद्मस्थ बेला में सूर्य-चन्द्र मूल विमान में दर्शनार्थ आये। श्री शीतलनाथ स्वामी के तीर्थकाल में हरिवंश की उत्पत्ति, एवं पांच मास पचीस दिन के अनशन का पारणा श्री महावीर स्वामी का धनदत्त सेठ के घर पर रही हई चन्दना दासी के हाथ से इसी नगरी में सम्पन्न हुआ।
हस्तिनापुर
इन्द्रप्रस्थ-हस्तिनापुर-यह हस्तिनापुर के भौगौलिक राजनैतिक अभिधान क्रमों का क्रमिक संस्थान है। पाण्डवों के पूर्ववर्ती राजा महाराजाओं का हस्तिपुर से गाढ सम्बन्ध रहा है । जिन सम्बन्धों में भगवान श्री ऋषभ देव का आगमन एक धर्ममय इतिहास की श्रद्धेय घटना है। भगवान श्री ऋषभदेव स्वामीजी का श्रेयांस के हाथों से वार्षिक तप का पारणा होना । वह दिन आज भी अक्षय तृतीया के नाम से समाज प्रतिष्ठित है, तथा श्री शान्ति नाथ जी, श्री कुन्थुनाथ जी एवं श्री अरनाथ जी के चार (च्यवन, जन्म, दीक्षा तथा केवलज्ञान) कल्याणक इसी नगरी में हुये।
स्वतन्त्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश के जैनों का योगदान
-बा० रतनलाल जैन, वकील बिजनौर
महात्मा गांधी ने भारतवर्षीय कांग्रेस की बागडोर सन १९१८ में सम्भाली । उनके नेतृत्व में अहमदाबाद के कांग्रेस अधिवेशन ने सन् १९२० में अंग्रेजी साम्राज्य के विरुद्ध अहिंसात्मक सत्याग्रह करने का निश्चय किया। सन १९२१ में चौरीचौरा में सत्याग्रह का हिंसा का रूप धारण कर लेने पर सत्याग्रह को रोक दिया। सन १९३० में नमक सत्याग्रह को सफलतापूर्वक चलाया जिसके फलस्वरूप मार्च १९३१ में गांधी-इरविन पैक्ट हुआ। सन १९३२ में अंग्रेजी शासन ने सत्याग्रहियों को कुचलने की दृष्टि से कांग्रेसियों की धर पकड़ व घर में बन्द रहने के आदेश जारी किये। कांग्रेसियों ने सत्याग्रह जारी किया जोसन १९३६तक चलता रहा ।
महात्मा गांधी ने १९४० में वैयक्तिक व १९४२ में 'मारत छोड़ो' सत्याग्रह चलाये ।
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