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________________ [ ८७ उनकी वीर पत्नी ने उस जुर्माने को नहीं दिया और न सरकार वसूल ही कर सकी। इसके बाद जब नमक कानून तोड़ा जा रहा था, इनके घर पर ही नमक बनाया गया, बिजनौर जिले के सभी कार्यकर्ता उपस्थित थे। तैयार किये गये नमक की बोली बा० राजेन्द्र कुमार जी की माता जी ने १२०० रु. में ली। बा० रतनलाल अपने साथियों के साथ गिरफ्तार हो गये और लगभग ३ साल की सजा भुगतकर वापस आये । आप के पिता ला. हीरालाल जी बीमार थे किन्तु गांधी जी द्वारा कांग्रेस आंदोलन की आज्ञा प्राप्त होते ही आप फिर से गिरफ्तार होकर २ वर्ष तक और जेल के अतिथि रहे। तदनन्तर यू०पी० एसेम्बली के सदस्य चुने गये । वह फिर जेल में बंद हुए। राष्ट्रीय जाग्रति और स्वतन्त्रता संग्राम में आप का बहुत बड़ा हाथ रहा है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद वर्षों उ० प्र० विधान परिषद के सदस्य रहे। बा० नेमीशरण जैन एडवोकेट-बा. रतनलाल जी के उत्साही साथी रहे। १९२१ तक तो आप 'अमन सभा' के वाइस चेयरमैन रहे और कांग्रेस के विरुद्ध कार्य किया। इसके बाद आप की रुचि कांग्रेस में हो गई। और जेल के मेहमान बने । सन् २२-२८-४२ में भी आपने जेल की यात्राएं की। कांग्रेस के टिकट पर एम. एल. सी. भी रहे । फूड कमेटी के चेयरमैन भी रहे । श्रीमती शीलवती देवी-धर्मपत्नी बा० नेमीशरण ने कांग्रेस के लिए अपने सुख को तिलांजलि दे दी और दो बार जेल गयीं। आप की सन्तान भी लगभग सभी राष्ट्रीय सेवा के लिए तत्पर रही। रविचन्द्र जैन शास्त्री की धर्मपत्नी प्रेमलता देवी भी उनकी सहयोगिनी रहीं। बा० मुलेशचन्द्र, नजीबाबाद-साह परिवार के उत्साही युवक कांग्रेस कार्यकर्ता रहे। ३ बार जेल यात्रा की। बाद में नजीबाबाद फड कमेटी का प्रबन्ध किया। कानपुर जिला वैद्यराज कन्हैयालाल--आप भारत के प्रमुख वैद्यों में रहे हैं। युक्त प्रान्तीय वैद्य सम्मेलन के सभापति तथा भा. वैद्य सम्मेलन के कोषाध्यक्ष भी रहे। बाल गंगाधर तिलक द्वारा चलाये स्वदेशी आन्दोलन के समय आप बम्बई में स्वदेशी व्रत धारण किया था। सन् ३० के आन्दोलन में ६ मास के लिए जेल गये । कांग्रेस की ओर से म्यूनिसिपल बोर्ड कानपुर के सदस्य भी रहे। धर्मपत्नी वैद्यराज कन्हैयालाल--आप को स्वदेशी से बड़ा प्रेम था । आप के कारण जैन समाज की तथा नगर की स्त्रियों में स्वदेशी का काफी प्रचार हुआ था। १९३१ के आन्दोलन में जब कांग्रेस अवैध थी और कानपूर में य० पी० कांग्रेस का जलसा बा. पुरुषोत्तम दास टण्डन के सभापतित्व में हुआ तो उसकी स्वागताध्यक्ष बनने के कारण आप को ६ माह का कारावास हुआ था। आयुर्वेदाचार्य महेशचन्द जैन-वैद्यराज के मझले पुन हैं। आप ने कानपुर के जैन अजैन नवयुवकों में कांग्रेस प्रेम उत्पन्न किया। सन् १९४० में आप ने २ माह का कारावास भुगता। । बा० सुन्दरलाल जैन-आप वैद्यराज कन्हैयालाल के सबसे बड़े पुत्र हैं, सन् १९४० के आन्दोलन में १ वर्ष के लिए जेल गये। मुजफ्फरनगर जिला बा० सुमति प्रसाद बी.ए. वकील--जिले के प्रमुख कांग्रेसी नेता रहे हैं । सन् १९२१ में आप ने दो वर्ष के लिए वकालत छोड़ी, सन् ३० व ३२ में कांग्रेस आंदोलनों में सजा पाई व जेल गये । १९४१-४२ में कांग्रेस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012057
Book TitleBhagavana Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherMahavir Nirvan Samiti Lakhnou
Publication Year1975
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size16 MB
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