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________________ ख - ५ ४४ ] इसी संस्था के तत्वावधान में सन् १९७१ में हालैण्ड में २१वीं शाकाहारी कांग्रेस सम्पन्न हुई, जिसमें २७ देशों के तीन सो प्रतिनिधियों ने भाग लिया । यह संस्था अपनी मासिक पत्रिका द्वारा शाकाहारी सिद्धान्त का प्रसार करती है । स्वास्थ्य, आचार और आर्थिक पक्षों से सम्बन्धित गम्भीर लेख नियमित रूप से प्रकाशित किये जाते हैं । यह संस्था अनेक कार्यों के अतिरिक्त सुरक्षा विभाग से भी व्यापक पत्राचार करती है ताकि सेना से सम्बन्धित लोगों को जो अपने अन्तर की आवाज मानते हैं, शाकाहार नियमित मिलता रहे । हालैण्ड का शाकाहारी संगठन पशुओं की चीर-फाड़ विरोधी, पशु-संरक्षण, प्राकृतिक जीवन सम्बन्धी अनेक संगठनों से सम्बन्धित है । - श्रीमती डबल्यू. आइकन म ब्र. कमेन इटली इटली में शाकाहारी सिद्धान्त का आरम्भ पथागोरस के काल में ही हो जाता है । मध्ययुग में असीसी के सन्त फ्रांसिस ने स्वयं मांसाहार से परहेज किया ही, साथ ही भोजन के लिए पशुओं की हत्या रुकवाने का भी महत्वपूर्ण कार्य किया । फासिष्ट हिंसा के समय में गांधी के उदाहरण की प्रेरणा से पुनः अहिंसा और शाकाहार का आन्दोलन शुरू हुआ । फासिस्ट आतंक से मुक्ति के बाद इटली में सभाओं और साहित्य द्वारा हिंसा के विपरीत वातावरण बना और " ए नान वायलेट इटली" नामक पुस्तक प्रकाशित हुई। गांधी जी के निर्वाण दिवस ३० जनवरी १९५२ को पगिया में अहिंसा के समर्थकों की अन्तर्राष्ट्रीय बैठक हुई और परिणाम स्वरूप 'सेन्टर आफ इण्टरनेशनल कोआर्डीनेशन फार नान वायलेन्स' की स्थापना हुई, और इसी केन्द्र द्वारा आयोजित - प्रेरित बैठक के परिणाम स्वरूप १४ सितम्बर १९५२ ई० में “इटालियन वेजिटेरियन सोसायटी” की स्थापना हुई। यह सोसायटी दो मूल आधारों पर कार्य करती है - शाकाहारी सिद्धान्त के अभ्यास के लिए आधारभूत कारणों की खोज और परीक्षण तथा बच्चों को शिक्षा । आधारभूत कारणों की खोज और परीक्षण - यह सभा शाकाहार को सभी जीवित प्राणियों के प्रति अपने प्रेम और भावना की अभिव्यक्ति मानती है। इसका दैनन्दिन अभ्यास और निर्वाह ही व्यक्ति को आन्तरिक प्रकाश की ओर ले जाता है और मानवीय विचार और कर्म के इस दर्शन की प्रतीति करवाता है । मांसाहार की सार्वजनीन आदत के परित्याग और अहिंसा और पशुमान के प्रति प्यार की भावना जागृत करने के लिए यह सोसायटी अप्रत्यक्ष रूप से प्रारम्भ से ही कार्य करना चाहती है । यह संस्था बच्चों के लिए एक ऐसा केन्द्र बनाना चाहती है जहां बच्चों को इन सब बातों का क्रियात्मक शिक्षण दिया जा सके । इस सभा ने शाकाहार की सूची, उनके चयन, उनके उपयोग, विधि आदि के सम्बन्ध में परिचय भी प्रकाशित किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप अनेक व्यावसायिक संस्थानों ने भी शाक-सब्जियों का उत्पादन बढ़ाने की ओर ध्यान दिया है । शाकाहारी सिद्धान्त के प्रचार-प्रसार और अभ्यास की अन्य संस्थाओं के भी सम्पर्क में यह संस्था है । डेन्मार्क कोपेनहेगन के चिकित्सक डा० माइकेल लार्सन ने १८९६ में डेनिश वेजिटेरियन सोसायटी की स्थापना की । पेशेवर चिकित्सकों और मांसाहारियों के विरोध के बावजूद इस संस्था को सफलता मिली और १९०७ में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012057
Book TitleBhagavana Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherMahavir Nirvan Samiti Lakhnou
Publication Year1975
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size16 MB
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