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________________ शाकाहारी सिद्धान्त का इतिहास ज्योफ्री एल० रूड जनरल सेक्रेटरी, इण्टरनेशनल वेजीटेरियन यूनियन जहाँ तक लिखित आलेखों का सम्बन्ध है, ऐतिहासिक शाकाहारी सिद्धान्त समय की अस्पष्टता तक जाता है और विश्व के सर्वाधिक असाधारण बौद्धिकों और सुधारकों ने सिद्धान्त रूप में मांस रहित पथ्य का प्रतिपादन किया है । अलक्जेंड्रिया के विलमेंट के अनुसार प्राचीन मिश्र के पुजारियों ने मांस खाद्य का त्याग कर दिया था। ब्राह्मण, जैन और जरथुसियन धर्मों की भी, जिनकी उत्पत्ति की तिथि अज्ञात है, यही मान्यता है । पश्चिमी संसार में शाकाहारियों का प्रथम समूह निश्चित रूप से पेथागोरस के अनुयायियों से बना, जिसने ईसा पूर्व छठी शताब्दी के ग्रीस को अद्वितीय रूप से झकझोरा । हावर्ड विलियम्स ने अपनी 'एपिक्स आफ डाइट' नामक विद्वत्तापूर्ण पुस्तक में शाकाहारी साहित्य की खोज से ईसा पूर्व आठवीं शताब्दी में मांस रहित पथ्य का मूल्यांकन ज्ञापित किया । ईसा पूर्व पांचवी शताब्दी में एम्पीडोकस ने पैथागोरस की परम्पराओं को बनाए रखा। प्लेटो के दर्शन को पैथागोरथ के दर्शन की अगली श्रृंखला माना जा सकता है । ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में बुद्धधर्म के अनुयायी भारतीय सम्राट अशोक ने अपने राज्य में मनुष्य और पशुओं के लिए समान चिकित्सा की व्यवस्था करवा दी थी। ईसा के समय तक अनेक धार्मिक संस्थाओं और समूहों ने तपस्वी जीवन अपना कर मांसाहार का त्याग किया था, प्लोटिनस, अपोलोनियस, पोरफयरी, सेनेका, ओविड, डायोजेनिस, सुकरात, प्लूटार्क आदि विशिष्ट व्यक्तियों को महत्वपूर्ण शाकाहारियों में माना जाता है । इसके बाद मिल्टन, पोप, शेले, रूसो, थोरो, वाल्टेयर, आइजक न्यूटन के अनुसार भी मांसाहार विकसित विचार प्रक्रिया के लिए अनावश्यक ही नहीं, बाधक रहा है । सन् १८४२ ई० में 'वेजेटेरियन' शब्द के प्रकाश में आने के बाद पूर्णरूप से मांसरहित आहार के प्रसार के लिए सन् १८४७ ई० में मांचेस्टर में एक धर्मनिरपेक्ष संगठन 'द वेजेटेरियन सोसाइटी' की स्थापना हुई, परन्तु इसका श्रेय भी सन् १८०९ में रेवरेंड विलियम्स काउहर्ड द्वारा स्थापित 'बाइबल क्रिश्चियन चर्च सालफोर्ड' को दिया जाना चाहिए । Jain Education International द वेजेटेरियन सोसायटी की हीरक जयन्ती के अवसर पर नीस के डी० अनजोड की प्रेरणा से १९०८ ई० में नीस में ही प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय शाकाहारी संस्था की कान्फ्रेंस सम्पन्न हुई । १९५० ई० तक इन्टरनेशनल वेजिटेरियन यूनियन' का कार्य मानदरूप में होता रहा पर केलिफोर्निया की श्रीमती क्लेरेन्स गास्व्यू की उदारता स्वरूप For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012057
Book TitleBhagavana Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherMahavir Nirvan Samiti Lakhnou
Publication Year1975
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size16 MB
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