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त्यों-त्यों हृदय की धड़कन बन्द होने के कारण मौतें भी बढ़ती जाती हैं। हार्ट फेल होने से मरण होने के समाचार नित्य मिलते ही रहते हैं । खेद है कि इस बात पर न सरकार ध्यान देती है, न जनता । भारत का दुर्भाग्य है कि अहिंसा से स्वराज्य प्राप्त करने वाली हमारी सरकार भी अंडों और मछली के खाने के लिए प्रोत्साहन दे रही है। जनता को सावधान होकर यह देखना चाहिए, समझना चाहिए कि कोई कुछ कहे परन्तु हम स्वयं सोचें कि हम क्या खावें? हमें शाकाहार से लाभ होगा या अंडों और मांस से?
इंगलैंड के डाक्टर राबर्ट ग्राम का लिखना है कि-मुर्गी के बच्चे में बहुत सी बीमारियां होती हैं। अंडे उन बीमारियों को विशेषतया टी० बी०, पेचिश आदि के कीटाणुओं को अपने साथ लाते हैं और इनको खाने वालों में पैदा कर देते हैं।
___ डा. गोविन्दराज का कहना है कि-अण्डों में नाइट्रोजन, फास्फोरिक एसिड और चरबी की अधिक माना होती है। इस कारण शरीर में ये तेजाबी मादा पैदा करते हैं और मनुष्य को रोगी बनाते हैं।
डा० इ० बी० मैक्कलिम का लिखना है कि-अण्डों में कैलशियम की कमी और कार्बोहाइड्रेटस का बिल्कूल अभाव होता है। इस कारण ये बड़ी आंतों में जाकर सड़ान मारते हैं। सारांश यह है कि मनुष्य को अण्डे का प्रयोग कदापि नहीं करना चाहिए।
लन्दन के डाक्टर एलेक्जेण्डर हेग के वैज्ञानिक परीक्षण के अनुसार मछली और मांस में यूरिक एसिड विष होता है । यह विष जब खून में मिलता है तब दिल की बीमारी, टी० बी०, जिगर की खराबी, श्वांस रोग, खून की कमी, गठिया, हिस्टीरिया, सुस्ती, अजीर्ण और तरह-तरह के दर्द पैदा कर देता है।
विद्वान पाठक देखें और गौर करें कि वैज्ञानिक दृष्टि से मांसाहार मनुष्यों को हानिकर और शाकाहार कितना लाभकारी है। भगवान महावीर के इस २५०० वें निर्वाण वर्ष में हमारा, हमारे मुनिराजों का, साध्वीजी महाराज का यह परम कर्तव्य है कि ग्रामों ग्राम में विचरकर भगवान महावीर के अहिंसा सन्देश को सुनावें और राष्ट्रहित के लिए जनता को बतायें कि केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, वैज्ञानिक ष्टि से भी सोचें और समझें कि शक्ति और बुद्धि बढ़ाने के लिए मांसाहार नहीं, शाकाहार ही आपकी इच्छा पूरी कर सकेगा । आप प्रत्यक्ष देख लेवें कि मांसाहारी पशुओं से शाकाहारी पशु हाथी और घोड़े कितने बलवान होते हैं।
सत्य तो यह है कि मांसाहारी वस्तुओं की अपेक्षा शाकाहारी वस्तुओं में पोषक तत्व अधिक पाये जाते हैं। यह आप निम्नलिखित तालिका से भलीभांति समझ सकेंगे। तुलनात्मक दृष्टि से देखिये कि किस पदार्थ में प्रतिशत कितना पोषक तत्व है :वस्तु
पोषक अंशों की मात्रा बादाम
९१ प्रतिशत चना, मटर चावल
८६ , जो
८४ , घी दूध मांस
२८ , मछली
१३ , अतः यह सिद्ध हो जाता कि धार्मिक, आर्थिक या शारीरिक हित, किसी भी दृष्टि से देखा जाय तो मनुष्य के लिए मांसाहार कदापि उचित नहीं है।
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