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________________ ६२ ] परिप्रेक्ष्य में देखें। युग बदल जाए, युग की मान्यताओं एवं मूल्यों में परिवर्तन आ जायें, किन्तु भगवान महावीर की वाणी का महत्व सदैव अक्षुण्ण रहेगा। जहां तक आज के बदलते सामाजिक मूल्यों के बीच भगवान महावीर की वाणी की भूमिका का प्रश्न है, आज के युग के लिये तो भगवान् महावीर की वाणी कल्पवृक्ष की भांति महत्वपूर्ण है । भगवान महावीर ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा, जिसका सिर्फ तत्कालीन परिस्थितियों में ही महत्व हो, बल्कि उन्होंने जो कुछ भी कहा उसका महत्व सार्वकालिक है। इसी कारण उनकी वाणी का और उनके कार्यों का युगों-युगों तक, असंख्य पीढ़ियों तक स्थायी महत्व है। जिस प्रकार हर अन्धकार के लिये प्रकाश का मूल्य सदैव एक समान होता है, ठीक उसी प्रकार आगे आने वाली पीढ़ियाँ जब भी अन्धकार के साये में ग्रस्त हो पड़ती हैं, इन महापुरुषों की दिव्य प्रभापूर्ण वाणियाँ ही, उनके लिये प्रकाशस्तंभ बनती हैं, उनका मार्ग प्रशस्त करती हैं। आज के संत्रास, कुण्ठा एवं अगणित अभावों से ग्रस्त युग के बीच भगवान महावीर की वाणी का बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान है। आज की इस घुटन भरी परिस्थिति में भगवान महावीर की वाणी त्राण का अमोद्य अस्त्र है। अतः आज के युग के लिये यह नितान्त आवश्यक है कि यह भगवान महावीर की वाणियों को जीवन व्यवहार में अपनाकर विश्वबन्धुत्व वसुधैवकुटुम्बकम् एवं समता किंवा समाजवादी आदर्श सिद्धान्त को सफल बनाएँ। इसके बिना वर्तमान युग का कल्याण सम्भव नहीं। २५००वा महावीर निर्वाण महोत्सब परस्परोपग्रहो जीवानाम् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012057
Book TitleBhagavana Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherMahavir Nirvan Samiti Lakhnou
Publication Year1975
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size16 MB
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