________________
[
४५
समता का सन्देश सुनाया हिंसा से जलते प्रांगण में, करुणा का अमृत बरसाया दुखी विश्व को महावीर ने, समता का संदेश सुनाया।
चैत्र मास की त्रयोदशी को कुण्डग्राम में जन्म लिया था पिता नृपति सिद्धार्थ तथा मां त्रिशला को सानंद किया था था निस्वार्थ प्रेम की प्रतिमा, सहज साधनायुक्त हिया था तपी, संयमी, सेवक, त्यागी, ज्ञान-प्रकाशी दिव्य दिया था। उसने जग को सात तत्त्व व नव पदार्थ का भेद बताया
दुखी विश्व को महावीर ने, समता का सन्देश सुनाया ॥ 'मैं ऊँचा हूँ वह नीचा हैं' यह विचार होगा दुःखदायी राग-द्वष से युक्त जीव ने बतला शांति-सुधा कब पाई ? ब्राह्माण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र कहकर करता है व्यर्थ लड़ाई त्यागो क्रोध लोभ माया को, पाटो द्वप दंभ की खाई। छोटा-बड़ा कौन है जग में, सब में सदृश आत्मा छाया दुखी विश्व को महावीर ने समता का सन्देश सुनाया ॥
'मेरी बात सही वह झूठा' इस एकान्त वाद को तोड़ो स्याद्वाद का सार यही है, हठधर्मी से मुखड़ा मोड़ो भाव-शुद्धि की करो तपस्या, और ढोंग का पल्ला छोड़ो सहनशीलता, क्षमा, त्याग से टूटे हुए हृदय को जोड़ो । शान्ति आत्मा के अन्दर है, व्यर्थ पोषता नश्वर काया दुखी विश्व को महावीर ने, समता का सन्देश सुनाया ॥
-प्रसन्नकुमार सेठी
मुक्तक जगत के जीव सब सम हैं, किसी को कम नहीं लेखो, सभी को प्राण प्यारे हैं, किसी पर गम नहीं फेको। श्री महावीर स्वामी की अहिंसा ये बताती हैइन्हें कुछ दे नहीं सकते, तो केवल प्यार से देखो।
-हजारीलाल जैन 'काका'
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org