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________________ हिन्दी जैन पत्रकारिता का इतिहास एवं मूल्य 1935 में ही नागपुर से पाक्षिक "तारणपंथ" तथा अजमेर से सुजानमल सोनी के संपादन में "चन्द्रसागर" का प्रकाशन हुआ। 10 मई 1936 को आगरा से "वीर संदेश" पाक्षिक का प्रकाशन जवाहरलाल लोढ़ा के संपादन में हुआ। 10 अप्रैल 1936 में अजमेर से राजमल लोढ़ा के संपादन में "जैन ध्वज" का प्रकाशन हुआ। भारतवर्षीय दिगम्बर जैन संघ की ओर से मई 1937 में साप्ताहिक "जैन संदेश" का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। इसके आदि संपादक कपूरचन्द जैन थे। सन् 1958 में शोध सामग्री युक्त त्रैमासिक "शोधांक" भी इस पत्र के साथ प्रकाशित होना शुरु हुआ। शोधांक का प्रकाशन सन् 1981 तक डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन के संपादन में होता रहा। इसी वर्ष "शान्ति सिन्धु" नामक पाक्षिक पत्र का प्रकाशन हुआ। सन् 1938 में प्रकाशित पत्रिकाओं में अ.भा.दि. जैन परवार सभा का मासिक "परवार बन्धु", अ.भा. तारणपंथी नवयुवक मण्डल का मासिक "तारणबन्धु आदि सन् 1939 में "जैन भारती" का प्रकाशन कलकत्ता से शुरु हुआ। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के इस मासिक मुखपत्र तथा साप्ताहिक विवरण पत्रिका का प्रकाशन जनवरी 1952 से बन्द कर दिया गया था तथा इनके स्थान पर -- "जैन भारती" साप्ताहिक का प्रकाशन 5 फरवरी, 1953 में श्रीचन्द रामपुरिया के संपादन में शुरु हुआ। वर्तमान में इसका प्रकाशन कु. हंसा दस्ताणी के संपादन में कलकत्ता से हो रहा है। विजयसिंह नाहर तथा भंवरमल सिंघी ने जनवरी 1940 में "तरुण ओसवाल" का प्रारम्भ कलकत्ता से किया। यह सामाजिक सुधारों तथा क्रांति व संघर्ष के प्रदीप्त स्वरों से युक्त प्रखर पत्र था। एक वर्ष बाद यही पत्र "तरुण जैन" के नाम से प्रकाशित होने लगा। इसी वर्ष ठाकुर प्रभुदयाल जैन के संपादन में भिण्ड, ग्वालियर से मासिक "खण्डेलवाल जैन हितैषी" प्रकाशित हुआ। चिमनसिंह लोढ़ा ने 1940 में ही पाक्षिक "झलक" का प्रकाशन किया। सन् 1942 में इन्दौर से बाबू अमोलकचन्द सिंघवी के सम्पादन में "मंगल" का प्रकाशन हुआ। जनवरी 1943 में आचार्य श्री हस्तीमल जी म.सा. की प्रेरणा से श्री रत्न विद्यालय, भोपालगढ़ (जोधपुर) द्वारा फूलचन्द जैन सारंग "विद्यालंकार" के संपादन में इतिहास, संस्कृति और धर्म की मासिकी "जिनवाणी" का प्रकाशन हुआ। वर्तमान में यह पत्रिका डॉ. नरेन्द्र भानावत के संपादन में जयपुर से प्रकाशित हो रही है, जिसमें धार्मिक, दार्शनिक, सामाजिक और साहित्यिक धरातल से आध्यात्मिक नवचेतना को जागृत करने वाली सामग्री प्रकाशित की जाती है। इस पत्रिका के संपादन-दायित्व से बसन्त कुमार जैन, शशिकान्त झा, पं. रत्नकुमार जैन "रत्नेश", केसरीकिशोर "केशव", प्रकाशचन्द्र बोथरा, शान्तिचन्द मेहता, लालचन्द जैन, मिट्ठालाल मुरडिया, मदन लाल जैन, पारसमल प्रसून, जिनेन्द्र कुमार जैन, जतनराज मेहता, डॉ. शान्ता भानावत आदि जुड़े रहे। अजमेर से इसी वर्ष प्रकाशमल जैन के संपादन में त्रैमासिक "जैन ज्योति" का प्रकाशन हुआ। 6 अप्रैल 1944 में विजय मोहन जैन के संपादन में मासिक सूचना पत्र "वीर लोकाशाह का प्रकाशन शुरु किया गया। मई 1945 में आत्मधर्म कार्यालय (सुवर्णपुरी) सोनगढ़-काठियावाड़ से हिन्दी मासिक "आत्मधर्म" का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। यह श्री दिगम्बर जैन स्वाध्याय मन्दिर ट्रस्ट, सोनगढ़ (सौराष्ट्र) का मुखपत्र है। यह पत्र कानजी स्वामी के मांगलिक प्रवचनों को प्रमुखता से प्रकाशित करता रहा है। इसके आदि संपादक रामजीभाईमाणकचन्द दोशी थे। सन् 1976 से इस पत्र की मुद्रण व्यवस्था जयपुर से होने लगी। किन्तु 1983 में पुनः सोनगढ़ से प्रकाशित होने लगा। अप्रैल 1947 को वर्धा से श्री भारत जैन महामण्डल के मुखपत्र "जैन जगत" का प्रकाशन हुआ। इसके प्रकाशक तथा संपादक हीरासाब चवड़े थे। वर्तमान में इसका प्रकाशन चन्दनमल चाँद के संपादन में बम्बई से हो 89 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012052
Book TitleShwetambar Sthanakvasi Jain Sabha Hirak Jayanti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Ashok Kumar Singh
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1994
Total Pages176
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size10 MB
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