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________________ हिन्दी जैन पत्रकारिता का इतिहास एवं मूल्य इसका प्रकाशन पुणे (महाराष्ट्र) से हो रहा है। सन् 1954 में अजमेर से "जैन कल्याण" मासिक प्रकाशित हुआ। सन् 1951 में "अणुव्रत" तथा "सन्मति संदेश" का प्रकाशन हुआ। "अणुव्रत" आचार्य तुलसी के आदर्शों की अनुपालना करते हुए अहिंसा प्रधान समाज रचना तथा नैतिक जागरण के लिए अणुव्रत अभियान का मुखपत्र है। वर्तमान में इसका प्रकाशन धरमचन्द चोपड़ा के संपादन में नई दिल्ली से हो रहा है। जनवरी 1955 में दिल्ली से मासिक "सन्मति संदेश" का प्रकाशन हुआ। इसके संपादक पं. प्रकाशहितैषी शास्त्री हैं। इसी वर्ष बीकानेर से "अभय संदेश" का प्रकाशन किया गया। बीकानेर से ही "जैन आवाज" का प्रकाशन 1955 के अन्त में प्रारम्भ हुआ। सन् 1956 में अंबाला शहर से श्री आत्मानन्द जैन महासभा के मासिक मुखपत्र "विजयानन्द" का प्रकाशन हुआ, जो कालान्तर में लुधियाना से प्रकाशित होने लगा। इस पत्र के आदि संपादक प्रो. पृथ्वीराज जैन थे। इस वर्ष के अन्य प्रमुख पत्र थे -- "जैसवाल जैन", "बन्धु", "मरुधर", "केसरी" तथा "सुमति"। श्री जैन सभा, कलकत्ता की ओर से पन्नालाल नाहटा के संपादन में साप्ताहिक जैन का प्रकाशन 1958 में किया गया। 1958 में ही भारतवर्षीय वर्णी जैन साहित्य मन्दिर, मुजफ्फरनगर की ओर से मासिक "वर्णी प्रवचन" का प्रकाशन किया गया। 15 अगस्त 1959 को अहमदनगर से मासिक "सुधर्मा" का प्रकाशन किया गया। आचार्य आनन्द ऋषि जी की प्रेरणा से संस्थापित श्री तिलोकरत्न स्था. जैन धार्मिक परीक्षा बोर्ड की यह मासिक मुख पत्रिका है। इस पत्रिका के संस्थापक शाह केशवजी जवेरचन्द थे। वर्तमान में यह पं. चन्द्रभूषण मणि त्रिपाठी के संपादन में प्रकाशित हो रही है। 1959 में दिल्ली से "विश्वधर्म" मासिक का प्रकाशन हुआ। 1961 में फिरोजाबाद से "जैन जागरण" तथा 1962 में जयपुर से "जैन संगम" का प्रकाशन हुआ। राजस्थान जैन सभा, जयपुर ने सन् 1962 में महावीर जयन्ती के अवसर पर वार्षिक "महावीर जयन्ती स्मारिका" का प्रकाशन आरम्भ किया। इस स्मारिका में जैन साहित्य, संस्कृति, इतिहास, पुरातत्व व सिद्धान्त आदि विषयों पर महत्त्वपूर्ण गवेषणापूर्ण आलेख प्रकाशित होते हैं। सन् 1963 में प्रकाशित पत्रों में "श्रमणोपासक" श्री अ.भा. साधुमार्गी जैन संघ का पाक्षिक मुखपत्र है जो वर्तमान में जुगराज सेठिया तथा डॉ. शान्ता भानावत के संपादन में बीकानेर से प्रकाशित होता है। "श्री अमर भारती" का प्रकाशन सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा से पाक्षिक रूप से शुरु हुआ था, जो 1965 से मासिक हो गयी है। कालान्तर में इसका प्रकाशन वीरायतन, राजगह से होने लगा। यह पत्रिका मुख्य रूप से कवि श्री उपाध्याय अमर मुनि के क्रान्तिकारी विचारों की तेजस्वी पत्रिका है। सन् 1964 में अजमेर से "ओसवाल समाज" का प्रकाशन हुआ। जून 1964 को बाड़मेर जिले के बालोतरा गाँव से "श्री नाकोडा अधिष्ठायक भैरव" नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया गया। सन् 1965 में जनवरी माह में "सत्यार्थ" तथा "धर्मवाणी" मासिक पत्रिकाओं का प्रकाशन हुआ। फरवरी 1966 में अजमेर से "जैन बालक" मासिक पत्रिका का प्रकाशन हुआ। 23 जनवरी सन् 1967 को रांची से श्री जिनेन्द्र कुमार जैन के संपादन में साप्ताहिक "जैन जागरण" का प्रकाशन हुआ। इसी वर्ष पाक्षिक "करुणा दीप" एटा से प्रकाशित हुई। । सन् 1968 में प्रकाशित जैन पत्रिकाओं में "धर्मज्योति" तथा "कथालोक" प्रमुख पत्र हैं। "धर्म ज्योति" का प्रकाशन जनवरी माह में भीलवाड़ा से पाक्षिक रूप में किया गया। कालान्तर में यह मासिक हो गयी। यह धर्म ज्योति परिषद् की मुख पत्रिका है। कथाओं के माध्यम से धार्मिक सांस्कृतिक चेतना को जागृत करने के उद्देश्य से मुनि जी श्री महेन्द्र कुमार "प्रथम" की प्रेरणा से जयपुर से महेन्द्र जैन के संपादन में मासिक "कथालोक" का प्रकाशन अगस्त 1968 में प्रारम्भ किया गया। नीति कथाओं तथा प्रादेशिक लोक कथाओं के माध्यम से यह पत्र भारतीय संस्कृति के उज्ज्वल पक्ष को प्रकट कर रहा है। वर्तमान में "कथालोक" का प्रकाशन दिल्ली से 91 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012052
Book TitleShwetambar Sthanakvasi Jain Sabha Hirak Jayanti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Ashok Kumar Singh
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1994
Total Pages176
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size10 MB
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