________________
की बड़ाबाजार में ही नहीं अपितु कोलकाता की नामी स्कूलों में गिनती होने लगी। आज स्कूल के छात्रों की संख्या २८०० है। वाणिज्य एवं साइंस के माध्यम से स्कूल बहुत कम फीस से बड़ा बाजार की एवं कलकत्ता के नागरिकों की सेवा कर रहा है। सभा की हीर जयन्ती के अवसर पर इन्डोर स्टेडियम में समारोह रखा गया था उसमें विश्वमित्र दैनिक के सुप्रसिद्ध सम्पादक श्री कृष्णकुमार अग्रवाल ने अपने भाषण में कार्यकर्ताओं से कहा कि श्री जैन विद्यालय तो अच्छा चल रहा है इसके लिए आपको बधाई एवं धन्यवाद लेकिन यह स्कूल तो आपके बुजुर्गों द्वारा बनाई गई है, मजा तो तब आवे जब आप लोग कोई स्कूल हास्पिटल या कालेज बनावे। बात वजनदार थी, सभी कार्यकर्ताओं को लगा कि हमें भी कुछ करना चाहिये हावड़ा अंचल की आबादी तेजी से बढ़ रही थी, अच्छे स्कूल की बहुत कमी थी, जमीन की खोज करने लगे श्री रतन चौधरी के सहयोग एवं श्री सुन्दरलालजी दुगड़ के प्रयासों से एक जमीन बोन बिहारी बोस रोड में खरीदी एवं ८ महीने के अल्प समय में स्कूल का निर्माण करके श्री जैन विद्यालय हावड़ा को शुरू कर दिया गया। पहले वर्ष ही १६०० छात्र - छात्राओं की भर्ती हुई। अभी लगभग ४००० छात्र छात्राएँ योग्य शिक्षकों की देख-रेख में वाणिज्य एस साइंस की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यह स्कूल मार्निंग में लड़कियों के लिए एवं दिन में लड़कों के लिए कक्षा पहली से १२वीं तक चल रहा है । बहुत ही कम फीस में तथा जरूरतमन्दों को हाफ फ्री या फूल फ्री में भी शिक्षा दी जाती है । संगीत, नृत्य, कराटे, बैण्ड आदि का भी प्रशिक्षण कोलकाता एवं हावड़ा स्कूलों में दिया जाता है। सुसज्जित एवं अतिआधुनिक कम्प्यूटर मल्टिीमिडीया द्वारा भी बच्चों को पढ़ाया जाता है। हावड़ा के निवासियों के लिए यह संस्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है ।
हावड़ा स्कूल के रहते हावड़ा जाने का कई बार कार्य पड़ता था वहां के निवासियों से भी मिलना होता तो चर्चा में यह बात आई कि हावड़ा में चिकित्सा की भी अच्छी सुविधा नहीं है। कार्यकर्ताओं में विचार विमर्श होने लगा। सन् १९९३ में बिड़ला सभागार में मेरे सम्मान समारोह का आयोजन था। मैंने अपने वक्तव्य में सम्मान करने वालों को धन्यवाद दिया और यह भी कहा कि मेरा सच्चा सम्मान तो तब होगा जब हावड़ा में एक अच्छा हस्पिटल बने । हाल खचाखच भरा हुआ था। आदरणीय हरखचंदजी सा० कांकरिया की पर्ची आई कि यदि हावड़ा में हॉस्पिटल बनावें तो रु० ५१ लाख मेरी तरफ से मंगवाना इस घोषणा से सारे माहौल में खुशी की लहर दौड़ गई, कार्यकर्ताओं में उत्साह की लहर हिलोरें मारने लग गई। उसी वक्त हास्पिटल की नींव लग गई। समारोह के बाद हावड़ा जमीन देखने का कार्य शुरु हुआ और बंगाल जूट मिल कम्पाउण्ड में एक जमीन खरीद ली गई एवं उत्साह तथा लगन के साथ निर्माण
कार्य शुरु हुआ। दो वर्ष में ही निर्माण कार्य पूर्ण करके २२० बेड का हास्पिटल सभा के सदस्यों ने उत्साह पूर्वक समाज को समर्पित किया। इस हास्पिटल को बनाने में दान दाताओं की होड़ लग गई। लगभग ७ करोड़ की लागत से हस्पिटल निर्माण हुआ एवं देश की आजादी की स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर दिनांक १५ अगस्त १९९७ को इसका शुभारंभ हुआ। आज हावड़ा में इस हास्पिटल द्वारा जरूरतमन्द लोगों की बहुत ही रिजनेबुल रेट में सभी बीमारियों की सेवा हो रही है। धीरे-धीरे इसमें डायलेसिस डिपार्टमेन्ट चालू हुआ। हावड़ा में जैन हास्पिटल का यह विभाग बंगाल भर में मशहूर है बहुत कम लागत में रोगियों की सेवा की जाती है। अति आधुनिकतम मशीनों द्वारा सभी प्रकार के बीमारी के जांच करने की व्यवस्था है। यह हास्पिटल हावड़ा एवं शिवपुर अंचल के रोगियों के लिए वरदान है हास्पिटल हावड़ा की अमूल्य धरोहर है "ये शब्द सुप्रसिद्ध लोकप्रिय नेता स्व० बादल बोस, एम० एल०ए० के हैं। सभा के कार्यकर्ताओं में असीम जोश था कि श्री पन्नालालजी कोचर के अनुदान से पी० एल० इन्स्टीच्यूट ऑफ कारडियक साइंस विभाग भी प्रारम्भ किया गया है हास्पिटल के पास से अढाई कट्ठा जमीन पर भी राज भंसाली अमेरिका की ओर से पूज्य पिताजी स्व० श्री भीखमचन्दजी भंसाली की स्मृति में श्री भीखमचन्द भंसाली नर्सिंग स्कूल भी शीघ्र प्रारम्भ होने वाला है।
-
1
सभा की प्लेटिनम जुबली एवं हावड़ा स्कूल की शिक्षा के एक दशक के उपलक्ष्य में एक भव्य आयोजन नेताजी इन्डोर स्टेडियम में श्री विमान बोस के सभापतित्व में रखा गया था वहां पर श्रीमती सरला महेश्वरी एम०पी० आदि कई बड़े बड़े नेता एवं दानवीर मौजूद थे। मैंने भाषण में कॉलेज बनाने की बात कही, विमान बोस ने भी शिक्षा संस्थानों की आवश्यकता बताई। वहां विराजित उदारमना श्री हरखचन्द कांकरिया ने कॉलेज बनाने के लिए एक करोड़ की राशि देने की घोषणा कराई। उसी वक्त स्टेज पर बैठे उदारमना श्री सुन्दरलालजी दुगड़ ने भी डेन्टल कॉलेज के लिए एक करोड़ की घोषणा की सारी सभा में अपरिमित उत्साह एंव आनन्द की लहर दौड़ गई श्रद्धेय विमान बोस ने भी हर्ष प्रकट किया। उसके बाद जमीन खोजने का कार्य शुरु किया। थोड़े ही दिनों में काशीपुर में एक जमीन देखी गई जो लगभग ४५५ कट्ठा थी, जिसे सभा के सभी सदस्यों को दिखाई, भाई सा० हरखचंदजी भी उस समय वहां मौजूद थे। श्री सुन्दरलालजी दुगड, पन्नालाल कोचर, श्री रिखबदास भंसाली आदि करीब २० सदस्य थे सभा को जमीन पसन्द आई एवं वह जमीन खरीद ली गई तथा ६ महिने में ही वहाँ तारादेवी हरखचंद कांकरिया जैन कॉलेज चालू कर दिया गया। इसका उद्घाटन भी लोकप्रिय नेता श्री विमान बोस के कर कमलों से हुआ। जुलाई २००६ में इसका उद्घाटन हुआ। इसी जमीन पर डेन्टल
Jain Education International
० अष्टदणी
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org