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श्रद्धांजलि
हुए उन्होंने भारत की अनेक कलाकृतियों एवं अमूल्य धरोहरों को पुन: भारत में लाने के असंभव कार्य को उन्होंने जिस तरह सम्भव बनाया वह उनकी दूरदर्शिता, गहन सूझ-बूझ एवं प्रखर पाण्डित्य का परिणाम है। इनके इन भगीरथ प्रयासों की सम्पूर्ण भारत ने मुक्तकण्ठ से प्रशंसा की है।
डॉ. सिंघवी उत्कृष्ट कवि, उच्च कोटि के निबन्धकार एवं प्रातिभ लेखक थे। उनकी अंग्रेजी एवं हिन्दी की कई रचनाएँ अत्यन्त लोकप्रिय हैं। उन्होंने सुप्रसिद्ध कथाकार एवं उपन्यास लेखक श्री जैनेन्द्र के त्यागपत्र का अंग्रेजी में अनुवाद कर सबको चमत्कृत कर दिया था। ___डॉ. सिंघवी अपने अध्ययन समाप्ति के पश्चात् सैनफ्रन्सिसको के कॉलेज में कानून के प्राध्यापक रहे थे, ऐसा उन्होंने मुझे दिल्ली प्रवास के समय अवगत कराया था। सन् १९५७-५८ में भारत आने पर काफी निराशा हुई थी। कई बार बातचीत में वे उसका उल्लेख भी करते थे। मैं उस समय दिल्ली में जैन प्रकाश का सम्पादक एवं श्री अखिल भारतवर्षीय स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेन्स का मैनेजर था। कॉन्फ्रेन्स के जनरल सेक्रेटरी श्री आनन्दराजजी सुराणा जो स्वयं जोधपुर के थे, के
कारण भगतसिंह मार्केट एवं गोल मार्केट के पास जैन भवन में विश्वविश्रुत अन्तर्राष्ट्रीय संविधान विशेषज्ञ, ख्यातिप्राप्त । वे प्राय: आकर चर्चा किया करते थे। मैंने उन्हें अवसर की विधिवेत्ता, लब्धप्रतिष्ठित सांसद, मानवीय अधिकारों के प्रबल प्रतीक्षा की सलाह दी एवं यह अवसर भी शीघ्र उपस्थित हो पक्षधर, सुचिन्तित लेखक राष्ट्रभक्त, कवि, सम्पादक, गया। श्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी द्वारा विद्या भवन नई बहुभाषाविद् और साहित्य मनीषी, पद्मविभूषण डॉ. लक्ष्मीमल्ल दिल्ली में आयोजित एक सेमिनार में इन्होंने जो अभिभाषण दिया सिंघवी देश-विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों से घनिष्ठ रूप से उससे सभी चकित हो गये एवं इनकी प्रतिभा का लोहा मान गये। सम्बद्ध बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उनकी क्रियाकलापों तत्पश्चात् डॉ. सिंघवी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा एवं एक का फलक इतना विस्तृत है कि लघु कलेवर में समेटना कठिन के बाद एक प्रगति के सौपानों पर आरोहण करते चले गये। ही नहीं दुर्लभ है।
__सितम्बर १९९८ में श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा, देश-विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों ने डॉ. सिंघवी को कोलकाता के सात दशकीय समारोह में वे विशिष्ट अतिथि के अपनी सर्वोच्च उपाधियों से अलंकृत कर अपने को गौरवान्वित रूप में पधारे थे। उनके कर-कमलों से तब मुझे भी सम्मानित महसूस करती और धन्य मानती है।
होने का अवसर मिला था। - राजस्थान की मरुधरा मिट्टी जोधपुर के इस सपूत ने अपने डॉ. सिंघवी की धर्मपत्नी श्रीमती कमला सिंघवी स्वयं एक क्रिया-कलापों, अपरिमित मेधा एवं विलक्षण विद्वता से देश- प्रसिद्ध कहानीकार एवं प्रबुद्ध लेखिका है। उनके सुपुत्र डॉ. विदेश में अपनी जन्मभूमि एवं देश का नाम ही रौशन नहीं किया अभिषेक सिंघवी वरिष्ठ अधिवक्ता एवं कांग्रेस के प्रवक्ता हैं। अपितु देश की साख एवं मान में चार चाँद भी लगा दिये। उनकी पुत्री श्रीमती अभिलाषा सिंघवी प्रकृष्ठ वकील है। सम्प्रति
साहित्य, संगीत एवं कला की अनेक संस्थाओं से गहन । मानव सेवा सन्निधि की प्रबन्ध न्यासी के रूप में मानव सेवा में रूप से जुड़े श्री सिंघवी ने भारतीय विद्या भवन, जमनालाल । संलग्न है। डॉ. सिंघवी के असामयिक स्वर्गारोहण से समग्र सभा बजाज एवं ज्ञानपीठ पुरस्कारों के प्रवर मंडल के अध्यक्ष रहते । परिवार अत्यन्त दु:खी है। स्वर्गस्थ आत्मा को सभा परिवार की हुए जो कार्य सम्पादित किया है वह इन संस्थाओं के इतिहास हार्दिक श्रद्धांजलि एवं चिरशांति की शासनदेव से प्रार्थना। में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। ब्रिटेन में उच्चायुक्त के पद पर रहते
० अष्टदशी / 2460
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