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________________ शराब तम्बाकू के अलावा अन्य नशे : मैं पुरजोर शब्दों में कहूँगा - हाँ है । अफीम, भांग, गांजा, चरस, ब्राऊन सुगर, हेरोईन, स्मेक फिर क्या करना चाहिये- समझें। आदि। हमारा देश ऋषि, मुनियों, संत-महात्माओं का देश है। हानिकारक परिणाम : विश्व के अन्य प्रत्येक देश में भी कम ज्यादा महापुरुष जन्म लेते मुख, गला, स्वर यंत्र, फेफड़े, अन्य नली व मूत्राशय का हैं। काल के प्रभाव से जन-मानस विशेष कर किशोर-किशोरियों कैंसर, हृदयाघात, लकवा, उच्च रक्त चाप, श्वास की दुर्गन्ध, पर टी०वी०, सिनेमा, पोस्टर, विज्ञापन आदि के माध्यम के दूषित दाँतों की गंदगी, शारीरिक व मांस पेशियों की दुर्बलता, प्रभाव पड़ रहा है। विश्व की सभ्यता, संस्कृति व अस्मिता, अंगुलियों का सड़कर गिरना। परिवेश रक्षक ग्रहों तक कि मानव मात्र के विध्वंस की समस्या चौंकानेवाले तथ्य - हमारे देश के आंकड़े। मुंह बायें सामने खड़ी हैं- भ्रूण हत्या, बलात्कार, चोरी, डकैती, २० लाख लोग कैंसर व ३० लाख लोग हृदय की बीमारी अपहरण, पशु बलि, मृत्यु भोज, जुआ व शराब के अड्डे, से आक्रांत हैं। वेश्यालय व चकले, आधुनिक सभ्यता की आड़ में चारित्रिक कैंसर में तिहाई, तम्बाकू में १/४, शराब वाले, हृदय रोग पतन। बाप बेटी का, पर स्त्री का, सासू, जंबाई का अन्य किसी तरह का लिहाज नहीं, अस्वस्थता, बीमारियों, अवसाद, मानसिक में ४०% तम्बाकू व २०% शराब वाले। उन्माद येन केन प्रकारेण अर्थोपार्जन की होड़, भौतिकता की तम्बाकू के धुएँ में कार्बोलिक, मोनोक्साईड, सायनाईड व चकाचौंध, नित नये भोग्य पदार्थों का आविष्कार व उन्हीं में सुख बैजापायरिन जैसी घातक गैंसें होती है जो कैंसर पैदा करती है। पाने की मानसिकता, सर्वोपरि अनैतिकता, मानवीय मूल्यों का बीड़ी में उपरोक्त गैसों की मात्रा सिगरेट से भी दुगुनी है। हास इत्यादि समस्याएँ हमें उद्वेलित कर रही हैं। आइये, निरपेक्ष तम्बाकू की खेती (वर्ष २००३) छह लाख हेक्टेयर दृष्टि से विचार कर इन तथ्यों को आजमायें - जमीन पर व उत्पादन ७८ करोड़ के०जी०, १. धीरे-धीरे परिवर्तन, आदत, लत सुधार, नशा परिहार सिगरेट का उत्पादन (वर्ष २००३) ९३०० करोड़, करने में संदेह है अतएव दृढ़ इच्छा शक्ति से पूर्ण मनोबल (बीड़ी का हिसाब नहीं)। के साथ एक बार में ही परिवर्तन लावें। विलायती शराब के बड़े कारखानों के उत्पादन-बीयर, प्रथम कुछ दिन तकलीफ रहेगी। यह समय आत्मविश्वास विहस्की वगैरह ५८ करोड ५० लाख लीटर (अनुमानित) देशी व मन की दृढ़ता से गुजार दें फिर देखें सफलता ही शराब, अवैध रूप से बनाने वाले चोलाई मद्य का कोई हिसाब नहीं। सफलता है। सचेतन होने योग्य बात : ३. साधु-संतों का सान्निध्य व भगवत भजन में खाली समय पन्द्रह वर्ष से अधिक उम्र वाले अनुमानित अढ़ाई करोड़ बिताएं। पुरुष व ७ करोड़ महिलायें किसी न किसी प्रकार से तम्बाकू या ४. आंतरिक शक्ति के लिए प्रार्थना करें, गहरे श्वास ले, शराब या दोनों का सेवन करते हैं। व्यायाम, दौड़ना, घूमना, तैरना, खेल आदि में भाग लें। स्वयं समझें एवं प्रचार करें : ५. ध्यान में बैठकर रोज अनुप्रेक्षा यानी दृढ़संकल्प को पुन:१. कोई भी सिगरेट फिल्टर, मैन्थल या कम (ठारवाली) पुन: दोहरायें। सुरक्षित नहीं है। कैंसर, हृदयरोग, अन्य व्याधियों, अनैतिकता के शिकार कैंसर होना तम्बाकू शराब की मात्रा पर निर्भर नहीं है। लोगों के कष्ट की स्मृति चित में लावें। थोड़ी मात्रा भी क्षतिकारक है। ७. गलत लोगों की सोहबत/संगति छोड़ दें। ऐसी स्थिति व परिवेश से बचें जिसमें बुरा काम / नशा करने की बार३. निष्क्रिय धूम्रपान के धुंए से सावधान आपके मुंह से उगला बार तलब लगे। हुआ धुंवा आपके अपने प्रिय परिवार जनों, बच्चों में कैंसर, अपच, हृदय रोग उपहार में दे देता है। और भी नये-नये उपाय खोजें। पान मसाला, गुटका व अन्य पदार्थ भी कैंसर व हृदयरोग नशा छोड़ने से जो रुपये बच रहे हों, उन्हें जमा करें। यही को आमंत्रित करते हैं। क्या व्यसन मुक्त समाज का बड़ी रकम देखेंगे तो आप स्वयं अनुमान करेंगे कि आप निर्माण संभव है? कितने मूर्ख थे जो इतने दिन इतने रुपये बचा नहीं पायें। ८. दता है। ७ अष्टदशी / 1070 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012049
Book TitleAshtdashi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupraj Jain
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sabha Kolkatta
Publication Year2008
Total Pages342
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
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