SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 133
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री जैन विद्याल हावड़ा गर्ल्स विभाग : माध्यमिक में इस वर्ष १४८ एवं उच्चतर माध्यमिक में २६७ छात्राएँ सम्मिलित हुईं। परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा। - हावड़ा स्थित दोनों जैन विद्यालयों में आगामी सत्र से विज्ञान की पढ़ाई शुरू करने का निर्णय लिया गया । इसके अध्यक्ष श्री पन्नालालजी कोचर, उपाध्यक्ष श्री महेन्द्रजी कर्णावट, मंत्री श्री सरदारमलजी कांकरिया, प्राचार्य श्रीमती ओल्गा घोष हैं। श्री हरकचंद कांकरिया जैन विद्यालय - जगतदल : पश्चिम बंगाल सरकार ने इसे आठवीं तक की मान्यता प्रदान कर दी है। शीघ्र ही माध्यमिक की मान्यता मिलने की संभावना है। सम्प्रति ६०० छात्र-छात्राएँ यहाँ अध्ययनरत हैं। इसके अध्यक्ष श्री हरकचंदजी कांकरिया, उपाध्यक्ष श्री सुरेन्द्रजी बाँठिया एवं मंत्री श्री सरदारमलजी कांकरिया हैं। : इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय श्री जैन विद्यालय, हावड़ा में यह अध्ययन केन्द्र चल रहा है। इस वर्ष करीब ३५० छात्र सम्मिलित हुए कुछ और नये कोर्स इसमें प्रारम्भ करने की योजना है इसकी प्रगति संतोषजनक है। इसके संयोजक श्री राजकुमारजी डागा, श्री ललितजी कांकरिया एवं को-ऑर्डिनेटर डॉ. गोपाल दूबे हैं। तारादेवी जैन विद्यालय, सागर माधोपुर इसमें प्राथमिक कक्षाओं तक की शिक्षा दी जाती है। इसका प्रबन्ध श्री जैन विद्यालय हावड़ा ने संभाल लिया है। श्री जैन शिल्प शिक्षा केन्द्र : यह सम्प्रति मंथर गति से चल रहा है। इसके मंत्री श्री अशोक बच्छावत, सहमंत्री श्रीमती गीतिका बोथरा एवं प्रधानाध्यापक श्री अरुणकुमारजी तिवारी हैं। जैन शिक्षण संस्थान संगठन समग्र भारतवर्ष में जैन शिक्षण संस्थानों में एकरूपता लाने तथा उच्चस्तरीय तकनीकी शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से इस संगठन की नींव रखी गई। सम्प्रति इसके अन्तर्गत १७०० शिक्षण संस्थान हैं। इसका एक सेमीनार पूना में आयोजित किया गया। हमारे यहाँ से शिक्षा जगत में अनेक वर्षों से कार्यरत श्री सरदारमलजी कांकरिया के साथ एक दल- सर्वश्री रिखबदासजी भंसाली, सोहनराजजी संघवी, पन्नालालजी कोचर, विनोदजी कांकरिया, ललितजी कांकरिया एवं विनोदजी मिन्नी इसमें भाग लेने के लिए गये। इस सेमीनार में विभिन्न विषयों के विशषज्ञों ने अपने विचार रखे ताकि हम भी तदनुरूप बदलाव ला सकें एवं स्तर ऊँचा उठा सकें। Jain Education International इस एफ. जी. ई. आई. के अध्यक्ष श्री शांतिलालजी मूथा पूना एवं बैंगलोर के श्री चैनरूपजी हैं, जो अत्यन्त प्रभावशाली रहे। श्री जैन बुक बैंक : आलोच्य सत्र में २७ जून २००४ को आयोजित समारोह में १७०० सेट पाठ्य पुस्तकें छात्राओं को निःशुल्क वितरित की गई। पुनर्वितरण में १० हजार सेटों का कार्य नये छात्र-छात्राओं में किया गया। इस अवसर पर कंम्प्यूटर सेट, लायब्रेरी के लिए पुस्तकें, साइन्स लेबोरटरी का सामान विभिन्न विद्यालयों को उपलब्ध कराया। सोनारपुर के फतेसिंह नाहर विद्यालय में एक तल्ले का निर्माण कर इसे उच्च माध्यमिक बनाने में सभा ने सहयोग प्रदान किया। संयोजकीय टीम का कार्य धन्यवादार्थ है। 1: श्री जैन हॉस्पीटल एवं रिसर्च सेन्टर, हावड़ा आलोच्य सत्र में इस मानव सेवा मन्दिर में काफी परिवर्तन हुए। आइ.टी.यु. को २२ शैय्याओं युक्त किया गया। इस हेतु श्री सुन्दरलालजी दुगड़ ने २१ लाख रुपये प्रदान किये। कार्डिक केयर युनिट ८ बेडों का यह विभाग पुनः शुरू किया गया। : डायलिसिस युनिट चौथे तल्ले में ६ मशीनों के साथ यह युनिट सुचारु रूपेण चल रहा है कुछ और मशीनें इस विभाग | में जल्दी ही लगने की संभावना है। श्री प्रहलादराय अग्रवाल, रूपा गंजी एवं श्री चन्द्रबदन देसाई प्रत्येक ने एक-एक डायलिसिस मशीन के लिए सहयोग प्रदान किये, एतदर्थ सभा हार्दिक आभारी है। प्राईवेट वार्ड: पुराने आइ.सी.यु. में १२ शय्याओं का प्राइवेट वार्ड पुन: शुरू कर दिया गया। पी. एल. कोचर इन्स्टीच्यूट ऑफ कारडियक साइन्सेज : २९ अगस्त २००४ को प्रातः काल दस बजे इसका लोकार्पण हॉस्पीटल परिसर में हुआ। श्रीमती सुशीला पन्नालालजी कोचर ने इस हेतु ५१ लाख रुपये की राशि प्रदान कर इस कार्य को सहज बनाया। समारोह का उद्घाटन प्रसिद्ध उद्योगपति श्री रिखबचंदजी जैन, दिल्ली ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। समारोह में सांसद श्रीमती सरला माहेश्वरी, प्रो. सी. आर. माइती, डॉ. मदनमोहन चौधरी, पूर्वी रेलवे के जनरल मैनेजर श्री रतनराजजी भंडारी विशिष्ट अतिथि के रूप में विद्यमान थे। प्रो. भवतोष विश्वास एवं उनके सहयोगी डॉ. अलफ्रेड वुडवर्ड के सान्निध्य में बाईपास सर्जरी का कार्यारम्भ किया गया। डॉ. चौधरी ने कहा कि सरकार सबकुछ नहीं कर सकती अत: जैन हॉस्पीटल जैसी संस्थाओं को आगे बढ़कर ये कार्य संभालने की आवश्यकता है। छ अष्टदशी / 42 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012049
Book TitleAshtdashi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupraj Jain
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sabha Kolkatta
Publication Year2008
Total Pages342
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy