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१ / आशीर्वचन, संस्मरण, शुभ कामनाएँ : ६५
मेरा बीना-प्रवास सुखद और भाग्यशाली इसीलिए है कि मुझे एक-साथ दो महापण्डितों पूज्य पण्डित बंशीधरजी व पूज्य डॉ० दरबारी लालजी कोठियाका स्नेहाशीष घर बैठे ही मिल रहा है। इसे मैं अपना सौभाग्य मानता हूँ।
में पूज्य पण्डितजीके सुदीर्घ स्वास्थ्यकी कामना करता हूँ । मेरा उन्हें शत्-शत् अभिवन्दन • श्री विमल कुमार जैन, गोरखपुर
सिद्धान्ताचार्य पण्डित बंशीधरजी व्याकरणाचार्य, शास्त्री, न्यायतीर्थकी लेखनी युवाकालसे ही मानवकल्याण हेतु, सतत् ज्ञान-वर्द्धन करती चली आ रही है । आप जैन दर्शनके प्रख्यात विद्वान् हैं। आज ८५ वर्षकी आयुमें भी आपकी लेखनी अविरल गतिसे चल रही है।
आपकी "जैन-शासनमें निश्चय और व्यवहार", "जैन दर्शन कार्यकारणभाव और कारक व्यवस्था". "पर्यायें क्रमबद्ध भी होती हैं और अक्रमबद्ध भी", "भाग्य और पुरुषार्थ', आदि अनेक मौलिक कृतियाँ जैन सिद्धान्तोंकी प्रदर्शिका है।
हम परम प्रतिभावान् पण्डितजीके दीर्घायुकी कामना करते हुए उनके चरणोंमें सादर-वन्दन करते हैं। श्रद्धेय सरस्वतीपुत्रको शत्-शत् प्रणाम • श्रीमती पुष्पा शाह, बीना
आदरणीय पण्डितजी हमारे ननदेऊ साहब हैं। हमारे परिवारके शिरोधार्य हैं। हमारे परिवारके ' साथ उनका सदैव स्नेहपूर्ण व्यवहार रहा है । उन्हें निष्ठावान् एवं प्रतिष्ठावान् कहनेमें हमें गौरवका अनुभव होता है।
__शोकग्रस्त होनेपर जब मैं कभी उनके पास जाती हूँ, तब वह काफी समवेदना प्रदान करते हैं। किसी भी प्रकारका वैमनस्य पैदा होनेवाला प्रसंग नहीं आता तथा सदैव अपने आपमें तटस्थ रहते हैं।
वास्तवमें वे वैभवशील, विवेकशील एवं विनीत व्यक्तित्वके धनी हैं, इसी कारण उनके परिवारमें सुखद सुगन्ध फैल रही है । हमारी ननद लक्ष्मीबाई वास्तवमें नामके ही अनुरूप थीं। वह पण्डितजीके प्रति बडी ही कर्तव्यपरायणा रहीं।
आदरणीय भौवाजीके सम्बन्धमें क्या लिख, हमारे पास पर्याप्त शब्द नहीं हैं। हम तो यही शभकामना करो हैं कि वे स्वस्थ एवं दीर्घायु हों। मेरी हृदयाञ्जलि • डॉ० कपूरचन्द जैन, खतौली
"कोऊ पंडित भये हैं जैन साहित्य के प्रगटावने खों और भारी भये हैं वश पंडिताई दिखावने खों। पर सूखी विद्या जा व्याकरण खों, कोऊ पढ़त नंइयाँ
वश बंशीधर ही भये हैं 'जैन व्याकरण' के तारणे खों।" पूज्य पण्डितजीके दीर्घायु जीवनकी कोटिशः शुभकामनाएँ।
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