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________________ पर भक्ति सब बातों के लिए लाभदायक है ।"२ गलील को लौटना, जीवन के आनन्दायक रहस्य, दुखभरे रहस्य, मनुष्य भोग के माध्यम से सिद्ध बनना चाहता है । मसीही क्रोध से मुक्ति, खाली कुर्सी, इगनेशियन ध्यान, प्रतीकात्मक कल्पनाएं, धर्म की शिक्षाएं भी इस तथ्य को प्रकट करती है कि मनुष्य को दुःख पहुंचाने वाली स्मृतियों का अच्छा होना, जीवन का मूल्य, सिद्ध होना चाहिए जैसा कि कहा भी गया है - "इसलिए चाहिए जीवन के स्वरूप का देखना, अपने शरीर को त्यागते समय बिदा कि तुम सिद्ध बनो, जैसा तुम्हारा पिता सिद्ध है ।" सिद्ध बनने के कहना, तुम्हारी अन्त्येष्टि, मृतक शरीर की कल्पना और भूत, उपाय भी सुझाये गये हैं। परमेश्वर अब्राहम को कहता है, "मेरी भविष्य और व्यक्ति की चेतना की बात कही गई है । (४) चौथे उपस्थिति में चल और सिद्ध होता जा ।"" पौलस याकूब की पत्नी अभ्यास में 'भक्ति को लिया गया है जिस के अन्तर्गत बेनेडिक्टाइन से कहता है, "धीरज से मनुष्य पूर्ण और सिद्ध होता है ।"३ प्रकारों का समावेश है - जैसे कण्ठी प्रार्थना, प्रभुयीशु मसीही की प्रार्थना, ईश्वर के हजार नाम, मध्यस्थता कराने की प्रार्थना, यीशु नारायण वामन तिलक जो एक भारतीय थे और जिन्होंने मसीह उद्धारक है उसका निवेदन, पवित्र शास्त्र की आयतें, पवित्रमसीही धर्म स्वीकार कर लिया था, यह मानते थे कि प्रभु यीशु इच्छा केंदित ईश्वर प्रेम की जीवित आग, प्रशंसा की प्रार्थना मसीह योग का प्रभु है । उसने एक ऐसी यौगिक पद्धति बतलाई है आदि के रूप में अभ्यास बताया गया है। जो सरल और सहज है | भारतीय योग में योगी वैराग्य को अपनाकर वैरागी होता है जबकि मसीही योगपद्धति में मसीही फादर न्यूना के विचार :योगी को प्रभु यीशु मसीह का अनुरागी होना आवश्यक है । फादर न्यूना ने उनकी पुस्तक 'योग और मसीही ध्यानमें मसीही धर्म शारीरिक योगाभ्यास को नहीं किन्तु आत्म-योगाभ्यास निम्नरूप से अपने विचार व्यक्त किये हैं - को उत्तम मानता है जैसा कि लिखा है - "शारीरिक मनुष्य मा "मसीही धर्म और योग में विशेष भिन्नता है । मसीही धर्म में परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता क्योंकि वे उसकी ईश्वर से एक व्यक्तिगत सम्बन्ध है जो कि योग के स्वयं ध्यान, दृष्टि में मूर्खता की बातें हैं और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उन्नति, परावर्तन और मनुष्य शक्ति से भिन्न है।" उनकी जाँच आध्यात्मिक रीति से होती है।" अप्पास्वामी के विचार :- मसीही योग के सम्बन्ध में कुछ विचार : अप्पास्वामी लिखते हैं कि हमें यह स्पष्टकर देना चाहिए कि भारतीय दष्टि को ध्यान में रखकर कुछ मसीही अनुयायियों कोर्ट मसीडीयोग और हिन्दयोग नहीं है। यह मानसिक अनुशासन ने मसीही योग को भारतीय संदर्भ में देखने का प्रयास किया है। है और किसी भी धर्म के अनयायी द्वारा काम में लिया जा सकता सर्वप्रथम हम जे. एम. डेचनेट के विचारों से अवगत होगें, जिन्होंने क्रिश्चियन-योग नामक पुस्तक की रचना की है। उन्होंने मसीही योग में चार प्रकार के अभ्यास बताये हैं - (9) पवित्रता को बाइबल में वर्णित चमत्कार :आध्यात्मिक अभ्यास के द्वारा पाना (२) प्रार्थना का अभ्यास कुछ व्यक्ति बाइबल में वर्णित चमत्कारों को योग द्वारा मानते (३) संगति का अभ्यास और (४) ईश्वर के सम्मुख प्रतिदिन की हैं। उदाहरण स्वरूप देखें तो बाइबल के पुराने नियम में एंलिशा उपस्थिति । प्रार्थना पर उन्होंने बहुत अधिक बल दिया है और इस नबी का वर्णन है। एक दिन एक-विधवा स्त्री एलिशा के पास सम्बन्ध में वे लिखते हैं कि "एक मसीह को प्रार्थना में अपने जीव आई और उसने निवेदन किया कि मुझे महाजन का ऋण देना है। को खोजना नहीं पड़ता या पूर्वीय विद्वानों की तरह अपने को महाजन मेरी सन्तानों को बेच देने का भय दिखा रहा है । अतः भूलना नहीं पड़ता, परन्तु वह अपने आप को परमेश्वर के वचन के मेरी रक्षा कीजिये एलिशा ने पूछा - तुम्हारे घर में कोई सम्पति है सम्मुख उद्घाटित करता है क्योंकि इसी से वह अपने को खोज या नहीं, स्त्रीने उत्तर दिया कि एक छोटे से बर्तन मे केवल सकता है और उसका अस्तित्व है ।"लिका थोड़ासा तेल है। एलिशा ने उत्तर दिया - "जाओ अपने पड़ोसियों 1 एन्थोनी डी. मेलो के विचार :-रानी के घरों से मांगकर बड़े-बड़े जितने बर्तनों मिल सके, ले आओ और अपने इस तेल के बर्तन से तेल डाल-डालकर उन सब बर्तन को नाक एन्थोनी डी. मेलो एक कैथोलिक फादर है, वे साधना संस्था, भर दो, देखोगी जितना डालोगी उतना ही बढ़ता जायेगा । सब पूना के संचालक हैं। उन्होंने उनकी पुस्तक 'साधना - ए वे टू नका पुस्तक साधना - एव टू बर्तन भर जायेंगे, फिर उस तेल को बेचकर ऋण चुका देना और गॉड' में ध्यान पर अधिक बल दिया है और चार तथ्यों पर जो कुछ बच रहे उसे अपने निर्वाह के लिए रख लेना ।'' ऐसा ही अभ्यास करने को कहा है -(9) सावधानी जिसमें उन्होंने पांच हुआ । इसी प्रकार एक बार एलिशा अभ्यास बताये हैं - मौन की आवश्यकता, शारीरिक संवेदना, वश्यकता, शारारिक सवदना, ने सात सौ लोगों को भोजन करवाया शारीरिकसंवेदना और विचार नियंत्रण तथा श्वास-प्रश्वास था | प्रश्न उपस्थित होता है कि संवेदनाएं । (२) दूसरे को उन्होंने सावधानी और ध्यान कहा है। क्या एलिशा एक योगी था ? इसमें उन्होंने नौ अभ्यास दिये है - ईश्वर मेरी श्वास में, ईश्वर के साथ श्वास-संचार, शान्तता, शारीरिक प्रार्थना, ईश्वर का स्पर्श, को प्रभु यीशु मसीह के चमत्कार ध्वनि, ध्यानावस्था, सभी में ईश्वर को ढूंढना और दूसरों की तो बहुत प्रसिद्ध हैं । उन्होंने मुर्दो सचेतता | तीसरे अभ्यास को 'कल्पना' के अन्तर्गत रखा गया है को जिलाया, कोढ़ियों को शुद्ध किया, जिसमें यहां और वहां की कल्पना, प्रार्थना के लिए एक स्थान, पांच हजार लोगों को भोजन करवाया, पानी पर चले, हवा और तूफान को हैं। उदा वर्णन हैन किया श्रीमद् जयन्तसेनसूरि अभिनन्दन ग्रंथ / विश्लेषण स्वच्छंदी मानव यहाँ, कभी न होत महान । जयन्तसेन निर्दयता, उस के घट में जान ।। www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.012046
Book TitleJayantsensuri Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Lodha
PublisherJayantsensuri Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1991
Total Pages344
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size88 MB
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