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________________ ६ चित्र : 9 यदि 11, और क्रमश: भीतरी परिधि बाहरी परिधि और पहिए की चौड़ाई हो तो क्षेत्रफल होगा, ht S ===== महावीर सही क्षेत्रफल दूसरी तरह से प्राप्त करते हैं। = http a √ 10. S= वृत्तों के भीतरी भाग में मनती है । [9. VII. 82 21 इस तरह, यदि d .a. Jain Education International l2 erita 2 यदि /= 3d हो तो ऊपर दिया गया सूत्र आसानी से समझा जा सकता है । “एक वृत्त का क्षेत्रफल व्यास के वर्ग से घटाने पर उस आकृति का क्षेत्रफल प्राप्त होता है जो कि चार बराबर परस्पर सटे हुए de - P. व्यास हो तो वक्र आकृति ABCD का क्षेत्रफल होगा, d2 4 वास्तव में, d = वर्ग EFGH का क्षेत्रफल है, de का क्षेत्रफल है। यह आकृतियाँ क्रमश: AOB, BOC, COD और बाली भीतर बनी आकृतियों का है जो एक दूसरे को छू रही हैं। [9, VII, 80] de 4 C = 4 बराबर वक्र आकृतियों (AEB BFC, CGD, DHA ) DOA के बराबर हैं अर्थात् यह क्षेत्रफल उन चार बराबर परिधियों निम्नलिखित उदाहरण इस सूत्र से हल किया जाता है : "यदि वृत्तों का व्यास 4 हो तो चार समान परस्पर सटे हुए वृत्तों के बीच के भाग की आकृति का क्षेत्रफल बताओ ।" [9. VII, 83 83/12/1 आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012045
Book TitleDeshbhushanji Aacharya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR C Gupta
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year1987
Total Pages1766
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size56 MB
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