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महावीर कहते हैं कि यदि चतुर्भुज विषमबाहु है तब दूसरे सूत्र का उपयोग नहीं किया जा सकता । पहला सूत्र ब्रह्मगुप्त और श्रीधर ने दिया। [4, पृ० 239]
छठे अध्याय के 84वें श्लोक में चतुर्भुज के विकर्ण निकालने के सूत्र दिये गये हैं।
विकर्ण ==
tac + bd) kab+cd)
ad + bc
विकर्ण-
/fac-+-bd iad+bc)
[9, VII, 54]
ab+cd
यह सभी सूत्र चक्रीय चतुर्भुजों के लिए उपयुक्त हैं । इन सूत्रों को समझने के लिए निम्नलिखित उदाहरण दिये गये हैं :
"एक समान भुजाओं वाले चतुर्भुज की भुजाओं का माप 5 है। बताओ कि विकर्ण का माप और यथार्थ क्षेत्रफल क्या है ?" [9, VII, 55]
"तीन समान भुजाओं वाले एक चतुर्भुज की प्रत्येक भुजा का माप है 13 का वर्ग, और आधार 407 है। विकर्ण, ऊँचाई और क्षेत्रफल बताओ।" [9, VII, 58]
“एक वृत्त की परिधि का माप उसके व्यास का 3 गुना है। उसके अर्धव्यास के वर्ग का तिगुना वृत्त का क्षेत्रफल है। गणितज्ञों के अनुसार अर्धवृत्त का क्षेत्रफल और अर्धपरिधि का माप उपयुक्त परिणामों का आधा होता है।" [9, VIL, 19]
इस तरह,
1=3d, S =
...d..
चित्र : 2 यहां T 2 3 है। यदि 12/10 हो तो महावीर सही सूत्र इस तरह बताते हैं :1 = + lode, S = /10 (1)
[9, VII, 60] बहुत-से उदाहरण इन्हीं सूत्रों से हल किये जाते हैं । आयतवृत्त का परिमाप और क्षेत्रफल निकालने का नियम इस प्रकार है :-लघुव्यास के आधे से बढ़ाया हुआ और 2 से गुणा किया हुआ दीर्घव्यास ही आयतवृत्त का परिमाप होता है। परिमाप में गुणा किया हुआ लघुव्यास का चौथा भाग आयतवृत्त का क्षेत्रफल होता है। [9, VIL,21]
चित्र : 3
जन प्राच्य विद्याएं
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